बुधवार, 13 अगस्त 2025

2 नेताओं की अगुवाई.सूरतगढ़ का विनाश!!

 

* करणीदानसिंह राजपूत *

सूरतगढ़ फिलहाल केवल 2 नेताओं पर टिका है। संदीप कासनिया व डुंगरराम गेदर के अलावा राजनैतिक शून्यता है। डुंगरराम गेदर कांग्रेस के सूरतगढ़ विधायक हैं। संदीपकुमार कासनिया भाजपा के पूर्व विधायक व राज्यमंत्री रामप्रताप कासनिया के सुपुत्र हैं। दोनों एक्टिव हैं तो राजनीति के घेरे इन्हीं के आसपास हैं। राज्य में भाजपा की सरकार है इसलिए शासन प्रशासन में संदीपकुमार कासनिया की चल रही है। ऐसा भी नहीं है कि गेदर की बिल्कुल ही नहीं चलती। पार्टी का राज नहीं होता तब महसूस होता है या मान लिया जाता है कि नहीं चलती। हां,कासनिया के यहां भीड़़ अधिक होती है। फोन भी अधिक होते हैं। काम भी अधिक होते हैं। यह सब नेचुरल सा है। यह स्वाभाविक होता है कि जहां सत्ता का लिंक होता है वहां लोगों का जाना अधिक होता है। 

* एक महत्वपूर्ण बड़ा प्रश्न भी है कि संदीपकुमार कासनिया और डुंगरराम गेदर को भी किसी के यहां जाना चाहिए या नहीं। शहर में विधानसभा क्षेत्र में महानता रखने वाले आदरणीय होंगे! किसी आपदा के समय चेहरा दिखाना जनता के बीच जाना,जनता से मिलना नहीं कहा जा सकता। समय समय पर जो सवाल उठते हैं उनका समुचित जवाब देना भी जरूरी होता है जो बहुत बड़ी कमी है, क्योंकि सवाल उठते हैं और संदीप कासनिया और डुंगरराम गेदर दोनों ही जवाब नहीं देते। विवेकानंद स्कूल को जमीन दिए जाने के चर्चित प्रकरण में जो सवाल उठे हैं  उन पर विधायक डुंगरराम गेदर चुप हैं। सच्च जो है उस पर मुंह नहीं खोलना, नगरपालिका में परसराम भाटिया के ऊपर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों पर मुंह नहीं खोलना गेदर को पीछे धकेल रहा है। बहुत पीछे पहुंच गये हैं गेदर। सबसे बड़ा आश्चर्य यह है कि परसराम भाटिया पर नगरपालिका में 120 दिन की अध्यक्षता में जो भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं, उन पर भाजपा नेता संदीपकुमार कासनिया चुप हैं। भाजपा नगरमंडल चुप हैं,जिलाध्यक्ष शरणपालसिंह मान भी चुप हैं। इनके अलावा भी शहर में नेता नेतियां हैं वे भी भ्रष्टाचार पर चुप हैं, शक्तिहीन हैं। क्या सूरतगढ़ में कांग्रेस और भाजपा नेताओं में कोई गुप्त समझौता है जिसके कारण रहस्यमय मौन है? परसराम भाटिया के भ्रष्टाचारों पर पूरी भाजपा चुप है। लेकिन फिर भी इंतजार है कि संदीप कासनिया और शरणपालसिंह मान एक दिन सच्च बताएंगे कि विकास के नाम पर  नगरपालिका को कितना नुकसान पहुंचाया गया है। 

सीवरेज निर्माण में बनवारीलाल मेघवाल के अध्यक्षता काल में बिछी  कितनी सीवरेज काम में नहीं है और वह कहां पर बिछी हुई है। ये सात आठ करोड़ रूपये कहां लगाए? काजल छाबड़ा के अध्यक्षता काल में सर्वाधिक भ्रष्टाचार हुआ। करीब 67 करोड़ रूपये का सीवरेज काम हुआ जो ल़ोग देख रहे हैं। सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट दोनों ही सही काम नहीं कर रहे। बाईपास का सीवरेज  प्लांट विधायक राजेंद्र सिंह भादु और काजल छाबड़ा ने अधूरे का ही लोकार्पण कराया था। अब जो मास्टर प्लान 2023-47 प्रारूप है उसमें साफ लिखा है कि यह प्लांट काम नहीं करता और पानी वहीं  उसी क्षेत्र में भराव कर रहा है। ओमप्रकाश कालवा ने नगरपालिका अध्यक्ष का कार्यभार ग्रहण करते वक्त 2 दिसंबर 2019 को समारोह में कहा था कि सीवरेज जहां भी निर्माण में कमी मिली तो दुरुस्त कराया जाएगा, लेकिन इन्होंने भी यह घोषणा पूरी नहीं की। इन सभी का यह दोस्ताना मित्र सा व्यवहार नगरपालिका में विकास लाया,वह सीवरेज आगे आठ दस सालों में असहनीय परेशानी लाएगा। बरसात के पानी का निकास की व्यवस्था नहीं बना पाए। नगरपालिका में भ्रष्टाचार रोक नहीं पाए। अधिशासी अधिकारी जो चाहे घोटाले  करते रहे। जनता को भी चुप रहने का दंड भोगना होगा।

13 अगस्त 2025.०0०







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