
- करणीदानसिंह राजपूत -
सूरतगढ़ 4 जनवरी 2016.
पांच दिवसीय साहित्य समारोह के चौथे दिन रचनाकार से मिलिए कार्यक्रम के तहत राजस्थानी के सिरमौर कवि ओम पुरोहित कागद से भेंट करवाई गई। कागद ने अपने जीवन के हर पहलू और रचना यात्रा का विस्तृत वर्णन किया।
पुरोहित ने बहा कि पत्रकार और लेखक एक ही सिक्के के दो पहलू हैं और दोनों रचनाधर्म निभाते हैं। ऐसे लोग भी हैं जो दोनों धर्म एक साथ भी निभाते हैं।
उन्होंने कहा कि लेखक व पत्रकार को पैसे के बल पर स्तुतिगान करते हुए चापलूसी का धर्म नहीं निभाना चाहिए। जो सच्च है उसी का लेखन करना चाहिए। लेकिन आज पैसे वालों व राजनैतिक लोगों के लिए लिखा जाने लगा है जो समाज के लिए और राष्ट्र के लिए घातक है।
इस कार्यक्रम की अध्यक्षता सोहनलाल रांका ने की एवं मुख्य अतिथि लाजपतराय भाटिया थे। कार्यक्रम का संयोजन राजेश चड्ढा ने किया।
ओम पुरोहित की एक रचना 35 वर्ष पहले श्याम चुघ के अखबार शाश्वत सत्य श्रीगंगानगर में 15 दिसम्बर 1980 में छपी थी जो यहां फोटो पेश है। डाकघर की मुहर देखें जो 16 दिसम्बर की लगी हुई है। यह अखबार मेरे संग्रह में मौजूद था।