भाजपा नये आने वालों को टिकट देगी तो चोट भी खाएगी.पुराने ही दमदार!
* करणीदानसिंह राजपूत *
* पुराने निष्ठावान नेताओं कार्यकर्ताओं की राजनैतिक हत्या नहीं करे भाजपा*
* राजस्थान भर में परिवर्तन यात्राओं में यह आवाज उठ जाए कि नये आने वालों को जिताऊ समझ कर टिकट नहीं दी जाए।
भारतीय जनता पार्टी में कांग्रेस या दूसरी पार्टियों से आए और सरकारी सेवानिवृत होकर आए अधिकारियों को चुनावी टिकट देती है तब 20 25 साल से पार्टी की सेवा करने वाले टिकट की आस लगाए निष्ठावानों का क्या होगा?
पार्टी के लिए जान लगाने वाले, लाखों रुपए लगा चुके कार्यकर्ता अपनी बारी आने की प्रतीक्षा कर रहे कार्यकर्ताओं का नेताओं का क्या होगा?
जिन्होंने सब कुछ पार्टी के लिए दे दिया, वे नेता कार्यकर्ता बीसियों सालों से काम करते हुए पार्टी की रीढ की हड्डी कहलाए। पार्टी को मजबूत करने वाले कहलाए।
क्या उनके साथ बड़े नेताओं की ओर से विश्वास घात नहीं होगा। पार्टी की सेवा करने वालों का इतना बड़ा तिरस्कार होता है तो फिर पार्टी को मजबूत कौन करेगा, कौन कुर्बानी देगा?
* यह सवाल और इसका जवाब दोनों ही बड़े नेताओं को सोचना चाहिए और सार्वजनिक भी करना चाहिए।
भारतीय जनता पार्टी में कांग्रेस से आए, वामपंथी विचारधारा से आए लोग पार्टी की कब्र खोदने रहे थे वे अब अचानक दल बदल करके पार्टी के वफादार सिपाही कैसे हो गए?
सरकारी सेवा में चाहे कितने ही ऊंचे पद पर रहे हों, निश्चित है कि उनका नाम होता है लेकिन वे अचानक पार्टी में आते ही बिना कुछ जाने इतने बड़े कैसे हो गए की वफादार नेताओं कार्यकर्ताओं को ठोकर मारते हुए उनको सिरमौर बनाया जाए? उनको राजनीति का और पार्टी के नियमों का कखग मालुम नहीं, कार्यकर्ताओं को भी जानते नहीं उनकी यह चर्चा हो कि वे जीत सकते हैं।
अभी तो चर्चाएं हैं की भारतीय जनता पार्टी में फलां फलां को टिकट मिलेगा या वे इतने बड़े दिखाए जाने लगे हैं कि उनकी टिकट पक्की है।
यह सब प्रचार और लेख आदि लिखे जाने सोशल मीडिया पर प्रसारित करने का कार्य नियोजित ढंग से संचालित होता है सो ऐसा हो रहा है।
* सवाल यही है कि जो लोग बाहर की पार्टी से आए या सरकारी सेवा से आए वे पांच सात साल पार्टी की सेवा करें और जनहित के सेवा कार्य करके दिखाएं और उसके बाद में पार्टी उनको चुनाव में उतारने की कोशिश करे।
** राजस्थान में 2023 के चुनाव में केवल 3 महीने बाकी है और ऐसी स्थिति में बाहर से आए सरकारी सेवा से आए लोगों की नियोजित ढंग से चर्चा हो रही है। उनके नाम को उछाला जा रहा है। बहुत बड़ा सेवक सिद्ध किया जा रहा है।
लेकिन सच्चाई क्या है? क्या 15-20 साल से पार्टी की सेवा करने वाले अपनी कुर्बानियां देने वाले संघर्षों में रहने वाले लायक नहीं थे। तो फिर पार्टी को 15 20 सालों से चला कौन रहा था? वे कौन लोग थे जिन लोगों के कारण पार्टी की सदस्य संख्या बढी। यदि वे निकम्मे होते तो क्या पार्टी का नाम आगे बढ़ता? कार्यकर्ताओं की संख्या आगे बढ़ती?
यह समय धरती से जुड़े छोटे बड़े हर कार्यकर्ता के बहुत कुछ सोचने का है और विभिन्न प्रकार से एकदम नये आए टिकट के लिए प्रचारित किए जा रहे लोगों के रास्ते रोकने का भी है।
जो बड़े नेता टिकट बांटने वाली जगह पर हैं। उनके ध्यान में भी लाया जाना जरूरी है कि जो कुछ हो रहा है वह सब गलत है ।
पार्टी के पुराने नेताओं और कार्यकर्ताओं के सीने में छुरा घोंपने जैसा है। उनके साथ धोखा करने का कार्य हो रहा है।
*जो लोग सरकारी सेवाओं से आए उनके नाम बड़े हो सकते हैं लेकिन पार्टी में राजनीतिक दृष्टि से कोई कार्य जब नहीं किया गया तो टिकट उनको देने का सोचा भी कैसे जा सकता है?
👍 उच्च नेताओं को चेताया जाए। यदि इसके बावजूद भी सुनवाई नहीं हो और नये आने वालों को टिकट दी जाती है तो पुराने निष्ठावान कार्यकर्ता देशभक्ति के नाम पर आत्महत्या नहीं करें। वे संघर्ष करें बताएं कि धरती से जुड़े की पहचान और ताकत बहुत होती है तथा कृत्रिम नेता को हार पहना कर विदा करें या प्रदेश मुख्यालय सौंप कर आएं।
* यदि आवाज अभी उठे पहले उठे ताकत बने,विरोध की गूंज हो जाए तो ऐसे नये आने वाले कृत्रिम सेवादारों को निश्चित ही टिकट नहीं मिलेगा।०0०
30 अगस्त 2023.
करणीदानसिंह राजपूत,
(पत्रकारिता के 59 वर्ष)
(राजस्थान सरकार के सूचना एवं जनसंपर्क निदेशालय से अधिस्वीकृत)
सूरतगढ ( राजस्थान )
94143 81356.
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