बुधवार, 30 अप्रैल 2025

जनसम्पर्क आयुक्त श्री सुनील शर्मा हुए सेवानिवृत्त

 

* करणीदानसिंह राजपूत *

जयपुर, 30 अप्रेल 2025

सूचना एवं जन संपर्क विभाग के आयुक्त श्री सुनील शर्मा बुधवार को  सेवानिवृत्त हो गए। श्री शर्मा ने अपने उत्कृष्ट सेवा काल में जन संपर्क व्यवस्था को प्रभावी, पारदर्शी एवं जनोन्मुखी बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। 





डीआईपीआर मुख्यालय में आयोजित विदाई कार्यक्रम में श्री सुनील शर्मा ने अपने राजकीय कार्य के अनुभवों को साझा करते हुए सभी का मार्गदर्शन किया। उन्होंने कहा कि कानून की व्याख्या सरलतम तरीके से कर पात्रों को समय पर लाभान्वित करना, बिना पक्षपात कार्य कर सभी का विश्वास जीतना ही अच्छे प्रशासक की निशानी है।  उन्होंने इन पलों को यादगार बनाने के लिए सभी अधिकारियों और कर्मचारियों की कार्यदक्षता की प्रशंसा करते हुए सभी को धन्यवाद दिया।


सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के अतिरिक्त निदेशक श्री अरविंद सारस्वत ने कहा कि श्री शर्मा ने विभिन्न पदों पर रहते हुए अपनी कार्यकुशलता और नेतृत्व क्षमता का परिचय दिया।  ऐसी शख्सियत के सेवानिवृत्ति कार्यक्रम में मौजूद रहना हम सभी को गौरवान्वित करता है। उन्होंने कहा कि श्री शर्मा ब्यूरोक्रसी के लाइट हाउस हैं जिसे विभाग के सभी अधिकारी —कर्मचारी प्रेरित और मार्गदर्शित होते है। 


सेवानिवृत्ति कार्यक्रम के दौरान जन संपर्क विभाग के अतिरिक्त निदेशक श्री राजेश व्यास ने कहा कि श्री शर्मा ने विभिन्न विभागों में रहते हुए कुशलतापूर्वक कार्य किया। श्री शर्मा को  विभागीय कार्मिकों एवं मीडिया प्रतिनिधियों के साथ उनके मधुर संबंध एवं कार्य के प्रति समर्पण को सदैव स्मरण किया जाएगा। श्री व्यास ने कहा कि उनके नेतृत्व में विभाग द्वारा विभिन्न जनकल्याणकारी योजनाओं की जानकारी आमजन तक प्रभावी ढंग से पहुँचाई गई। पेंशन विभाग के निदेशक श्री देशराज ने बताया कि वर्ष 1994 में श्री शर्मा और उनका एक साथ आरएएस परीक्षा के माध्यम से राज्य सेवा में चयन हुआ। श्री शर्मा को आरएएस कैडर मिला और उन्हें अकांउट। श्री शर्मा जहां भी, जिस भी पद पर रहे, उस बैच और हम सभी का सम्मान अपनी कर्तव्यनिष्ठा और ईमानदारी से बढ़ाते रहे। 


जनसम्पर्क विभाग के वित्तीय सलाहकार श्री वीरेन्द्र सिंह ने श्री शर्मा के व्यक्तिगत और सार्वजनिक जीवन को सभी के लिए प्रेरणादायी बताते हुए उम्मीद जताई कि वे हम सभी का आगे भी मार्गदर्शन करते रहेंगे।

  

विभागीय कर्मचारी संगठन के अध्यक्ष श्री गोपाल स्वरूप पाठक ने श्री शर्मा के व्यक्तित्व और कृतित्व पर प्रकाश डाला तथा उनके सुखद भविष्य की ईश्वर से प्रार्थना की। जनसंपर्क अधिकारी श्रीमती सपना शाह ने कहा कि श्री शर्मा ने हम पर विश्वास जताकर हमें सदैव आत्मविश्वास से भरे रखा। उन्होंने कहा कि उनके  कार्यकाल में हमने कई चुनौतियों से लड़ना सिखा। कार्यक्रम में अतिरिक्त निदेशक सुश्री नर्बदा इन्दौरिया, संयुक्त निदेशक श्री मनमोहन हर्ष, श्री रजनीश शर्मा, सुश्री क्षिप्रा भटनागर, उप निदेशक डॉ. लीलाधर, श्री ओटाराम, श्री अजय कुमार, सहायक निदेशक श्रीमती कविता जोशी और श्रीमती प्रियंका अग्रवाल, आयुक्त महोदय के निजी सचिव श्री रवि पारीक, श्री गिरीश जैन, कर्मचारी नेता श्री कुलदीप शर्मा व अन्य अधिकारी—कर्मचारी उपस्थित रहे।

उल्लेखनीय है कि वर्ष 2013 बैच के भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी श्री शर्मा ब्यूरोक्रेसी में अपनी सौम्य छवि के लिए विख्यात रहे। कठिन से कठिन टास्क को टीम भावना से सहज में हल करना और इसका श्रेय न लेना उनकी विशेषता रही। 

विभाग की ओर से श्री शर्मा को उनके योगदान के लिए हार्दिक शुभकामनाएं एवं उज्ज्वल भविष्य की कामना की गई है। o0o




दस मई तक सभी नाले नालियां साफ करवाएं.जिलाकलेक्टर

 

* करणीदानसिंह राजपूत *

श्रीगंगानगर 28 अप्रैल 2025.

जिला कलक्टर ने जिले के समस्त स्थानीय निकायों को निर्देशित किया कि वर्षा प्रारम्भ होने से पूर्व 10 मई 2025 तक सभी नाले व नालियों की सफाई करवा ली जाये, जिससे वर्षा के समय जल निकासी में सुविधा रहेगी। 

👌जिलाकलेक्टर का निर्देश सूरतगढ़ में चलेगा या दम तोड़ देगा यह 31 मई की प्रशासनिक गतिविधि से मालुम हो जाएगा।

सूरतगढ़ में नगरपालिका प्रशासन की उदासीनता और सफाई निरीक्षक व जमादारों की ड्युटी के प्रति लापरवाही से नाले नालियां कचरे गंदगी से भरे पड़े हैं। प्रशासक उपखंड अधिकारी संदीपकुमार काकड़ और अधिशासी अधिकारी पूजा शर्मा शहर की पूरी रिपोर्टर तैयार करवाए और 30 मई से ही नालों पर दुकानदारों के पक्के सीमेंट कंकरीट के कवर निर्माण हटवा कर सफाई शुरू करवाए तो सफाई संभव है, अन्यथा नाले नालियां जाम स्थिति में ही रहेंगी और बाजारों में पानी भरेगा।०0०



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मंगलवार, 29 अप्रैल 2025

सफाई कर्मी की हाजिरी है सफाई क्यों नहीं है?ACB को बुलावा है.

 

* करणीदानसिंह राजपूत *

सूरतगढ़ 29 अप्रैल 2025. सफाई कर्मियों की हाजिरी का बड़ा घोटाला है कि सफाई कर्मचारियों की हाजिरी है तो फिर महीनों से नालियों की सफाई क्यों नहीं है? हाजिरी का फर्जीवाड़ा है तो नगरपालिका प्रशासन को भी मालुम है कि यह किया जा रहा है तो फिर वहां मौके की गंदगी निरीक्षण की जरूरत नहीं। सब मालुम है। आखिर इस फर्जीवाड़े के  लाखों रूपये कौन खा रहा है? एनजीओ के माध्यम से कर्मचारियों की हाजिरी अधिक और कर्मचारी नहीं। मामला क्षेत्रीय उपनिदेशक बीकानेर या प्रशासनिक सुधार विभाग जयपुर के निरीक्षण का नहीं है बल्कि खुले रूप से ACB ( भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो )का ही बनता है। नगरपालिका प्रशासन भय मुक्त है कि सत्ताधारी भाजपा और प्रतिपक्ष कांग्रेस ( यहां विधायक डुंगर कांग्रेस), आप,बसपा, माकपा पार्टियों का कोई भी नेता नेतियां कार्यकर्ता ACB में शिकायत नहीं करेंगे। कितना बड़ा भरोसा है जिसके कारण शहर नरक बना हुआ है। लोग मानते हैं कि बड़ा घोटाला हो रहा है तब राजनैतिक लोग चाहे मृत रहें कोई जनता का पहरुआ ACB का विस्फोट कर प्रशासन की चूलें हिला सकता है। ऐसा लगता है कि कुछ हो रहा है। यह ACB को न्यौता है।

👌इस इलाके में घूम कर देखें।

नगरपालिका का मुख्य चौराहा महाराणा प्रताप चौक से पश्चिम भग्गुवाला चौक वहां से दक्षिण सड़क न्यायालय के आगे होते बीएसएनएल फिर पूर्व गौरव पथ बीकानेर रोड से उत्तर महाराणा प्रताप चौक की इतने बड़े इलाके की नालियां गंदगी कचरे रेत से भरी प्रमाणित करती हैं कि 9-10 महीनों से सफाई नहीं हुई। फोटो देखने से मालुम हो जाएगा कि 9-10 महीनों से नालियों की सफाई नहीं हुई जो खुरपे से होती है। लोगों ने 9-10 महीनों से नालियां साफ करते किसी को देखा नहीं। आजकल तो अनेक घरों के आगे सीसीटीवी कैमरे लगे हैं।

* हाजिरी का फर्जीवाड़ा जमादार, सफाई निरीक्षक के बिना संभव नहीं और फिर भुगतान करने वाले अधिकारी।




















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वैदिक कालीन सरस्वती नदी के पुनर्जीवन की तैयारी

 

* करणीदानसिंह राजपूत *


जयपुर, 28 अप्रेल 2025.


* बाबा साहब आप्टे स्मारक समिति की ओर से नवंबर 1985 में भारतीय इतिहास संकलन योजना के अंतर्गत सरकारी अनुदान के बिना ही एक स्वतंत्र 'वैदिक सरस्वती नदी शोध अभियान' दल गठित हुआ। इस दल के अभिनायक स्व. विष्णु श्रीधर वाकणकर थे। वकणकर दल ने करीब 4000 किमी की यात्रा की। एक पुस्तक अंग्रेजी में प्रकाशित हुई। यह दल हनुमानगढ आया सूरतगढ़ भी आया। हनुमानगढ बैठक में मैं करणीदानसिंह राजपूत भी शामिल हुआ। मेरा एक विशेष लेख रिकॉर्ड में शामिल हुआ जो बैठक में मैंने पढा भी था)





 👌वैदिक कालीन पौराणीक सरस्वती नदी जो कि अब लुप्त है को पुनर्जीवित करने के क्रम में सरस्वती हेरिटेज बोर्ड हरियाणा के पदाधिकारियों,  विषय वस्तु विशेषज्ञों व वैज्ञानिकों के साथ बिरला विज्ञान अनुसंधान, जयपुर में एक बैठक का आयोजन हुआ।

बैठक में प्रदेश के जल संसाधन मंत्री, श्री सुरेश रावत शामिल हुए और सरस्वती बोर्ड हरियाणा के डिप्टी चेयरमैन श्री धूमन सिंह कीरमिच व बिरला विज्ञान अनुसंधान संस्थान, जयपुर के सुदूर संवेदन विभाग प्रमुख डॉ0 महावीर पूनिया एवं जल संसाधन विभाग राजस्थान के मुख्य अभियन्ता श्री भुवन भास्कर उपस्थित रहे।

* इसके साथ ही इसरो के रिटायर्ड डायरेक्टर डॉ जे आर शर्मा और डॉ0 बी के भद्रा ने भी बैठक में वीसी के माध्यम  से जुड़कर अपने अनुभव एवं विचार साझा किये।

सरस्वती हेरिटेज बोर्ड, हरियाणा के डिप्टी चेयरमैन श्री धूमन सिंह कीरमिच द्वारा हरियाणा में वैदिक सरस्वती नदी के पुनर्जीवन पर किये गये कार्यों का उल्लेख किया तथा इस बाबत् प्रजेन्टेंशन भी प्रस्तुत किया।

जल संसाधन मंत्री द्वारा बैठक में अपने विचार व्यक्त करते हुये कहा कि सरस्वती नदी राज्य के पश्चिमी क्षेत्र में भूमीगत रूप से युगों से बह रही है। इस लुप्त प्राय नदी का लाभ राज्य के पश्चिमी क्षैत्र के किसानों को मिल सके इसके लिये मुख्यमंत्री श्री भजनलाल शर्मा के मार्गदर्शन में इस नदी को धरातल पर लाने का कार्य हरियाणा राज्य के साथ प्रारम्भ किया गया है। 

श्री सुरेश रावत, जल संसाधन मंत्री द्वारा यह भी बताया गया कि हरियाणा सरकार द्वारा भी इस प्रोजेक्ट को धरातल पर लाने हेतु आवश्यक प्रयास किये जा रहे है। जिससे राजस्थान के सुखे क्षेत्र को हराभरा बनाने में बहुत बड़ा योगदान हो सकता है। 

बैठक में मुख्य बिन्दुओं पर चर्चा हुई राज्य को प्राप्त होने वाले किसी भी अन्तर्रराज्यीय जल को लेकर राज्य सरकार सदैव सजग है।   इसी क्रम में विलुप्त हुई सरस्वती नदी को पुर्नजीवित करने का कार्य भी राज्य सरकार द्वारा हाथ में लिया जा चुका है। 

राज्य सरकार द्वारा इस संबंध में राइजिंग राजस्थान कार्यक्रम के दौरान 09 दिसंबर 2024 को राजस्थान सरकार के जल संसाधन विभाग और डेनमार्क दूतावास के बीच एक समझौता ज्ञापन (MOU) पर हस्ताक्षर किए गए। यह समझौता सरस्वती पुराप्रवाह (पेलियोचैनल्स) के पुर्नरुद्धार पर सहयोग से संबंधित हैं। जो राजस्थान के जल सुरक्षा और पर्यावरणीय स्थिरता के लक्ष्यों में योगदान देगा। इसके अतिरिक्त डेनमार्क दूतावास के प्रतिनिधियों के साथ आगामी 29 अप्रेल को एक बैठक आयोजित की जा रही है। इस महत्वपूर्ण सहयोग को आगे बढ़ाने के लिए केंद्रीय और राज्य भूजल विभाग को शामिल करने का अनुरोध किया। CAZRI जोधपुर और IIT BHU ने इस परियोजना में भाग लेने की सहमति दे दी है।०0०




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सोमवार, 28 अप्रैल 2025

पूजा छाबड़ा ने बसंत बिहार छोड़ा. यह है कारण.

 

सूरतगढ़ 28 अप्रैल 2025.

भाजपा नेता पूजा छाबड़ा ने अपने राजनैतिक कैरियर को और अधिक गति देने के लिए बसंत बिहार कालोनी छोड़ कर नये आवास में प्रवेश किया है। सूरतगढ़ जिला बनाओ अभियान में आमरण अनशन से पोपुलर हुई पूजा ने फिलहाल आदर्श कालोनी में नये घर में प्रवेश किया है। बसंत बिहार कालोनी उत्तर की ओर बीड़ क्षेत्र में बनी हुई है। राजनीति में ऊंचे पदों की आशा रखने वाले उतरी क्षेत्र और बीड़ में रहने के कारण आगे नहीं बढ सकते की धारणा है। धारणा है कि राजनैतिक व्यक्तियों को यह

उतरी क्षेत्र आगे नहीं बढने देता। कुछ यहां लोगों की संख्या कम है।



 पूजा छाबड़ा फिलहाल किसी ऊंचे पद मिलने और आगे विधानसभा चुनाव  लड़ने की पूरी तैयारी से सूरतगढ़ को कर्मभूमि चुना है। पूजा छाबड़ा सूरतगढ़ के विधायक रहे स्व.गुरुशरण छाबड़ा की पुत्र वधु ( गौरव छाबड़ा की पत्नी) हैं। राजस्थान के विधानसभा 2023 के चुनाव में,2024 के लोकसभा चुनाव में प्रियंका बेलान और दिल्ली विधानसभा चुनाव में भाजपा के लिए प्रचार व वोट मांगने के कारण स्टेट लेवल को छुआ है। सूरतगढ़ में बहुत से लोग पूजा को भावी बड़ी नेता मान रहे हैं।०0०






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वह अवतरित हुई,आनंदित हुए हम

* दिव्यता*


वह अवतरित हुई
आनन्दित हुए
हम सब।
उसके 
हाव भाव
देते रहे
दिव्य संदेश।
परी सी उड़ गई
एक दिन
विलीन हो गई
आकाश में।
छोड़ गई
स्मृतियों में
अनन्त
संदेश।
.......
श्रीमती विनीता सूर्यवंशी-करणीदानसिंह राजपूत  :  

माता-पिता
योगेन्द्र प्रतापसिंह-रीतिका-अनाया
सिह( लघु भ्राता. भाभी-भतीजी,)
रवि प्रतापसिंह-साक्षी: अद्वित ( लघु भ्राता-भाभी-भतीजा)
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रविवार, 27 अप्रैल 2025

सड़क पर सामान रख बाधा अपराध: धारा 283 में जुर्माना. सजा.

* करणीदानसिंह राजपूत *
सूरतगढ़ 27 अप्रैल 2025.
दुकानदारों, सब्जी वालों,इलेक्ट्रॉनिक गुड्स,साईनबोर्ड आदि कोई सामान सड़क
पर रख कर बाधा डालने पर पुलिस कार्वाई हो सकती है। सूरतगढ़ में दुकानदारों की सड़क पर सामान रख कर आवागमन में बाधा डालना रोजाना का अवैध काम हो गया है। सड़क बाधा से कोई दुर्घटना होने पर बाधा डालने वाला बड़े संकट में सजा में भी फंस सकता है।

भारतीय दंड संहिता की धारा 283 के अनुसार अगर कोई व्यक्ति किसी सार्वजनिक रास्ते (Public Transit) पर या किसी जलमार्ग (Waterway) पर किसी प्रकार की बाधा (Obstruction) उत्पन्न करता है या किसी भी सार्वजनिक सड़क को रोककर अपने कब्जे में करने की कोशिश करता है। जिसके कारण अन्य वाहनों को आने जाने में समस्या उत्पन्न होती है तो उस व्यक्ति पर IPC की धारा 283 के तहत कार्यवाही की जाती है।

आईपीसी धारा 283 के मुख्य तत्व/बातें:-


भारतीय दंड संहिता के Section 283 के तहत किए गए अपराध में ऐसी कौन सी मुख्य बातें होती है जो किसी व्यक्ति के द्वारा किए गए कार्य को एक अपराध व उस व्यक्ति को एक आरोपी बना सकती है आइये इसके बारे में बिल्कुल आसान भाषा में जानते है।


सड़क में बाधा डालना: लोगों के आने जाने के लिए बनाई गई सार्वजनिक सड़कों, गलियों या राजमार्गों (Highways) को बंद करने या उनके रास्ते को रोकने वालो पर इस सेक्शन 283 के तहत कार्यवाही की जाती है।


अनुचित या अनावश्यक रुकावट: किसी भी रास्ते में यदि कोई व्यक्ति जानबूझकर रुकावट पैदा करता है तो ही उसके खिलाफ इस धारा के तहत कार्यवाही की जाती है।


यदि किसी व्यक्ति के पास रास्ते में रुकावट पैदा करने का सही या वैध कारण (Valid Reason) है तो वह Crime नहीं माना जाएगा जैसे यदि किसी सार्वजनिक गली या रोड पर किसी व्यक्ति की कार खराब हो जाती है तो वह अपराध नहीं माना जाएगा।


यदि कानूनी अनुमति (Legal Permission) प्राप्त लोगों के द्वारा किसी रास्ते को रोका जाता है तो उन पर भी इस धारा के तहत कार्यवाही नहीं की जा सकती।


IPC Section 283 Crime Example


एक दिन साहिल अपनी गाड़ी से रोजाना की तरह अपने कार्यालय (Office) जा रहा था। उस अपने घर से निकले हुए कुछ समय ही हुआ था, अचानक वो देखता है कि उसके कार्यालय वाले रोड पर अपनी कुछ लड़के अपनी गाड़ी से रास्ते को रोक कर खड़े हुए थे।

जहाँ से और वाहन भी निकल नहीं पा रहे थे, लोगों के बोलने पर भी वो लड़के अपनी गाड़ी नहीं हटा रहे थे। साहिल कुछ समय तक यह सब देखता रहता है। कुछ समय बाद लोगों द्वारा शिकायत करने पर पुलिस वहाँ आती है, और उनको लड़कों को पकड़ कर IPC 283 के तहत कार्यवाही करती है।


धारा 283 में सजा – IPC 283 Punishment in Hindi


IPC Section 283 में सजा के प्रावधान (Provision) अनुसार जो कोई भी व्यक्ति किसी सार्वजनिक रास्ते पर बाधा उत्पन्न करने की कोशिश करता है, उसे दोषी (Guilty) पाए जाने पर 200 रुपये के जुर्माने से दंडित (Punished) किया जाता है।


लेकिन यदि वो व्यक्ति लोगों को आने जाने वाले रास्ते को रोकने के साथ-साथ किसी अन्य वाहन या संपत्ति को नुकसान पहुँचाता है या मारपीट करता है तो उस पर अन्य अपराधों के तहत भी कार्यवाही कर सजा दी जा सकती है।


आईपीसी धारा 283 का उल्लंघन करने वाले लोगों के लिए सजा से अलग और किन मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है?

अगर इस अपराध की सज़ा की बात की जाए तो इसमें 200 रुपये के जुर्माने से दंडित किया जाता है, परन्तु इसके अलावा भी कुछ ऐसे कानूनी प्रभाव (Legal Effect) हो सकते है। जो एक व्यक्ति के जीवन में बाद भी परेशानी का कारण बनते है। इसलिए आइये जानते है उन सभी परिणामों के बारे में।


कारावास: यदि कोई व्यक्ति सार्वजनिक सड़कों (Public Roads) को रोकने का दोषी (Guilty) पाया जाता है या उसके ऐसा करने से कोई और दुर्घटना (Accident) हो जाती है तो उस व्यक्ति को अपराध की गंभीरता (Nature of crime) के अनुसार कुछ महीनों से लेकर कुछ वर्षों की कारावास की सजा (Punishment of Imprisonment) से भी दंडित किया जा सकता है।


जुर्माना: यदि आरोपी व्यक्ति सड़कों में बाधा डालने के कारण आस-पास की किसी वस्तु को नुकसान पहुँचाता है तो उस पर लगने वाले जुर्माने को वस्तु के कीमत के हिसाब से बढ़ाया भी जा सकता है।


आपराधिक रिकॉर्ड: इस Crime के दोषी व्यक्ति का कानून (law) के कागजों में आपराधिक रिकार्ड (Criminal Record) बन जाता है, जिसके कारण उस व्यक्ति के आगे के भविष्य में रोजगार, सम्मान व अन्य कार्यों पर भी असर पड़ता है।


ड्राइविंग लाइसेंस पर प्रभाव: धारा 283 के इस अपराध के तहत दोषी पाये जाने वाले व्यक्ति का ड्राइविंग लाइसेंस (Driving licence) निलंबित या रद्द भी किया जा सकता है।


इसके अलावा एक बार जेल या कारावास की Punishment पाने वाले व्यक्ति को समाज के द्वारा भी बहुत ही बुरी नजर से देखा जाता है। वह आपके द्वारा किए गए Crime को नहीं देखते कि आपने छोटा अपराध किया है या बड़ा वह केवल यह देखते है कि यह व्यक्ति जेल से आया है, तो इसका भी एक व्यक्ति के जीवन पर गहरा असर पड़ता है। इसलिए कोई भी ऐसा कार्य ना करें जिसकी वजह से आपको व आपके परिवार को परेशानी का सामना करना पड़े।

IPC 283 में जमानत (Bail) कब और कैसे मिलती है


भारतीय दंड संहिता के सेक्शन 283 के अंतर्गत आने वाला यह अपराध एक संज्ञेय अपराध (Cognizable offence) की श्रेणी माना जाता है। संज्ञेय होने के कारण जो भी व्यक्ति इस अपराध को करने का आरोपी (Accused) पाया जाता है, पुलिस उसे बिना किसी अनुमति के गिरफ्तार (Arrest) कर सकती है।


धारा 283 का यह अपराध एक जमानती अपराध (Bailable offence) होता है, जिसमें आरोपी व्यक्ति को जमानत मिल जाती है। यह अपराध किसी भी श्रेणी के मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय (Triable) होता है। IPC Section 283 के तहत आने वाला यह अपराध समझौते (Non Compoundable) के योग्य नहीं होता।

धारा 283 में बचाव के लिए कुछ जरुरी बातें


लोगों के आने जाने के लिए बनाए गए रास्तों पर किसी भी प्रकार से बाधा उत्पन्न करना अपराध तो होता ही है, लेकिन ऐसा करने से किसी व्यक्ति की जान भी जा सकती है। सार्वजनिक रास्तों को रोकने से एम्बुलेंस (Ambulance) जैसे वाहनों को भी आने जाने में समस्या आने पर उसमें जा रहे मरीज (Patient) की जान भी जा सकती है। इसलिए कभी-भी इस प्रकार का अपराध ना करें।


लोगों के आने जाने वाले रास्ते पर अपना कोई भी वाहन गलत तरीके से ना खड़ा करें।


रास्ते में अपने पीछे आ रहे वाहनों को रास्ता ना देना और जानबूझकर बहुत धीमी गति से वाहन ना चलाएं।


किसी भी सार्वजनिक रास्ते पर पेड़ काटने के डालना, बहुत सारा कूड़ा डालना, पत्थरों से रोकना जैसा कोई भी कार्य ना करें।


लोगों के आवगमन वाले रास्तों पर इंटे, सीमेंट, या अन्य सामान रखकर रास्ते को रोकने की कोशिश ना करें।


बिना अधिकारियों की अनुमति के रास्तों पर गैर-कानूनी (Illegal) तरीके से धरने के लिए ना बैठे।


ऐसी ही कुछ जरुरी बातों का ध्यान रख कर आप धारा 283 का अपराध करने व इस अपराध की सजा जुर्माने से बच सकते है।  ०0०





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झूठी गवाही देना भी अपराध है, सजा भी है.

 

* करणीदानसिंह राजपूत *

सब कुछ जानते हुए की मामला झूठा है, झूठा बनाया गया है, षड़यंत्र रचकर किसी को फंसाने बदनाम करने को केस झूठा बनाया गया है,में पुलिस अदालत में झूठी गवाही देना भी अपराध है। झूठी गवाही देना मतलब खुद के सिर पर आफत लेना होता है। अनपढ़ तो ऐसे में दोस्ती आदि में झूठ में फंस जाए लेकिन जब पढालिखा,बिजनेस करनेवाला, आदमी झूठी गवाही देने में उलझता है तो गले में डाली यह आफत वर्षों तक कोर्ट के चक्कर कटवा ही देती है। सामने वाला झूठी गवाही पर केस करे और साबित कर दे तब कैद की सजा और जुर्माना भी हो सकता है। सावधान रहें कि कोई आपको झूठी गवाही के लिए तैयार करले और आफत गले में डाल लें। ऐसा हो रहा हो तब अपने परिवार में पुत्र पत्नी और किसी अन्य मित्र से सलाह जरूर करें और मामला भी बताएं। सलाह लेते साफ कह दें कि मामला तो झूठा है। झूठी गवाही दिलवाने वाले को ही स्पष्ट इनकार करें कि यह आफत गले में डालना नहीं चाहता।०0०

* 27 अप्रैल 2025.

करणीदानसिंह राजपूत,

पत्रकार( राजस्थान सरकार से मान्यता लाईफटाईम)

सूरतगढ़ ( राजस्थान)

94143 81356.

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