गुरुवार, 1 अगस्त 2024

भाजपा सूरतगढ़ तो नगरपालिका बोर्ड कांग्रेस पार्टी को सौंप रही है.

 

* करणीदानसिंह राजपूत *

भाजपा सूरतगढ़ के नेता संगठन पदाधिकारी नगरपालिका बोर्ड कांग्रेस को सौंपने वाले हैं।भाजपा नेताओं संगठन पदाधिकारियों की पांच साल की निद्रा से यह लग रहा है और प्रमाणित हो रहा है। नगरमंडल अध्यक्ष सुरेश मिश्रा महामंत्री लालचंद शर्मा ने ऐसा कुछ नहीं किया जिसे राजनैतिक दृष्टि से कार्य बताया जा सके। कंट्रोलर जिलाध्यक्ष शरणपालसिंह मान ने सूरतगढ़ के होते हुए भी कभी जगाया नहीं।

* भाजपा तो 2019 में भी बहुत बुरी तरह से कांंग्रेस से हारी थी। कुल 45 वार्डों में भाजपा को केवल 12 वार्डों में ही जीत मिल पाई थी। अध्यक्ष के चुनाव में शर्मनाक घटना हुई कि एक वोट कम हो गया। भाजपा को 11 वोट ही मिले।

** हालांकि 2019 के चुनाव में कांंग्रेस को बहुमत नहीं मिला। 45 वार्डों में बहुमत के लिए 23 पार्षद जीतने चाहिए थे जो 22 ही जीते, लेकिन अध्यक्ष के चुनाव में निर्दलीय सहयोग से 30 वोट कांंग्रेस को मिले। कांंग्रेस के ओमप्रकाश कालवा चेयरमैन निर्वाचित हुए। सूरतगढ़ में कांंग्रेस में पूर्व विधायक गंगाजल मील की ही चलती थी। ओमप्रकाश कालवा कुछ महीने मील के कहे चलते रहे लेकिन बाद में इतनी अधिक बिगड़ी कि ओमप्रकाश कालवा ने स्वतंत्रता में सांस लेने के लिए कांंग्रेस को छोड़ भाजपा में प्रवेश ले लिया। 

👍 ओमप्रकाश कालवा को सबक सिखलाने के लिए मील ग्रुप के लोगों ने शिकायतों पर शिकायतें कर कांंग्रेस सरकार के होते ओमप्रकाश कालवा को सस्पेंड करवा दिया। भाजपा राज आने पर ओमप्रकाश कालवा को  करीब 7 महीने बाद बहाल कर दिया। बहाली आदेश में कुछ कमी रही। कांग्रेस के ब्लॉक अध्यक्ष परसराम भाटिया व तीन अन्य पार्षदों ने उच्च न्यायालय में रिट लगा कर आदेश निरस्त करवा दिया। कालवा ने इसके विरुद्ध उच्च न्यायालय में डबल बैंच में रिट लगाई। वहां से आदेश हुआ कि याचिका कर्ता के लिए सरकार फ्रेश आदेश जारी करे। इसमें सरकार भाजपा की होते हुए भी देरी हो रही है। देरी का कारण एक तो यह है कि 5 साल काम नहीं करने वाला नगर मंडल जागा और आधा जागा आधा नींद में रहा और कांंग्रेस से जुड़े भाजपाइयों की कान भराई से प्रभावित होकर भाजपा के कालवा का विरोध कर बैठा। कांंग्रेसियों ने भाजपा के कुछ लोगों से मिल कर स्वायत्त शासन मंत्री आदि को शिकायत करवा दी। यानि यहां भाजपा ने भाजपा का विरोध किया। यह तमाशा भाजपा के लिए हितकारी सिद्ध नहीं हो रहा। भाजपा के राज में कांंग्रेसियों की शिकायतों पर कार्यवाही हो रही है। शिकायत कर्ता कांग्रेस के ब्लॉक अध्यक्ष परसराम भाटिया को कांंग्रेस सरकार में नगरपालिका अध्यक्ष नियुक्त किया गया था। भाटिया 120 दिन अध्यक्ष रहे और जमकर भ्रष्टाचार किया। गलत पट्टे जारी कर पालिका कोष को लाखों का नुकसान पहुंचाया। आश्चर्य यह है कि भाजपा नगर मंडल अध्यक्ष सुरेश मिश्रा और जिलाध्यक्ष शरणपालसिंह परसराम भाटिया के भ्रष्टाचार पर चुप है और उसकी शिकायत नहीं करते। परसराम भाटिया जो नगरपालिका में लिख कर देते हैं वह काम तुरंत हो जाता है। कांंग्रेसियों की गतिविधियों से लगता है कि नगरपालिका कांग्रेस कार्यालय के रूप में चल रही है और भ्रष्टाचार लगातार हो रहा है।

* अधिशासी अधिकारी श्रीमती पूजा और कुछ कर्मचारी अपनी चला रहे हैं। अधिशासी अधिकारी आरोपों से घिरी है। अध्यक्ष के नहीं होने से लोगों के पट्टे आदि के काम नहीं हो रहे। अनेक कार्य ठप्प हैं।

👍 ऐसी स्थिति में कांग्रेस और अधिक दबाव के लिए कांग्रेस द्वारा लगातार धरने प्रदर्शन किए जि रहे हैं और उनका नेतृत्व परसराम भाटिया ही कर रहे हैं। कांग्रेस नगरपालिका पर फिर से कब्जा करने के लिए तैयारियों में जुटी है। अल्पसंख्यक को अध्यक्ष तक बनाने की तैयारी है। लेकिन भाजपा सरकार में भाजपा का अध्यक्ष कांग्रेसियों भाजपाइयों के बने गुट से अधर में झूल रहा है।०0०





 

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