गुरुवार, 2 अक्टूबर 2025

शस्त्र पूजन और अपराधी का बचाव.यह कैसी नीति.

 

* करणीदानसिंह राजपूत *

शस्त्र पूजन करेंगे और अपराधियों दुराचारियों का बचाव भी करेंगे तथा कोशिश करेंगे कि वे अपने ही शहर में स्थापित रहे ताकि अपने गलत कार्यों में साथ लेते रहें। 

 शस्त्र पूजन मतलब दुष्टों का संहार की नीति लेकिन दुष्टों को अपने लिए अपने ही शहर में अपने ही क्षेत्र में जिंदा रखेंगे और वे दुष्ट अन्य लोगों को परेशान करेंगे,लूटेंगे तो यह दोहरी नीति  तो आम लोगों के जीवनशैली को बहुत ही खराब करने वाली है। राजनैतिक खासकर सत्ता पार्टी के जीते हारे नेता नेतियां अपनी संपत्ति विस्तार और गलत कार्यों में अपना और परिवार का बचाव सुरक्षा के लिए ऐसा व्यवहार करते रहे हैं। 

सत्ताधारी नेता भ्रष्ट अधिकारियों कर्मचारियों का स्थानांतरण तक नहीं होने देते,कानून से दंड दिलवाना तो दूर रहा।

शस्त्र पूजन कर किसी को मारना नहीं है लेकिन इस पूजन नीति की गंभीरता को समझते हुए कानूनी कार्रवाई,निलंबन और स्थानांतरण आदि में तो रोक की कोशिश नहीं होनी चाहिए। ये सभी कार्य बहुत छुपकर किए जाते हैं लेकिन लोगों के सामने किसी तरह से खुल ही जाते हैं। यह भी होता रहा है कि अनेक बार सत्ताधारी नेता नेतियां कोशिश करके भी भ्रष्टाचारी को बचा नहीं पाते। सत्ताधारी पार्टी के नेताओं नेतियों को समझ लेना चाहिए कि ऐसे गलत कामों में ईज्जत दांव पर होती है और जाते देर नहीं लगती।०0०

विजयदशमी 2 अक्टूबर 2025.

करणीदानसिंह राजपूत,

पत्रकार ( राजस्थान सरकार से अधिस्वीकृत आजीवन)

सूरतगढ़ ( राजस्थान )

94143 81356.

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