शुक्रवार, 5 सितंबर 2025

सूरतगढ़ कुंडिया सारस्वत समाज समझदारी से धर्मशाला भूखंड बचाए.

 






* करणीदानसिंह राजपूत *

सूरतगढ़ के कुंडिया सारस्वत समाज में समझदारी से विचार करते हुए भविष्य की सोच रखते हुए अपनी धर्मशाला बनानी चाहिए। पिछले करीब 15 -20 वर्षों से चलता हुआ विवाद इतना अधिक बढ गया है कि दो गुटों में बंटा समाज एक नहीं हो रहा। समाज की धर्मशाला के लिए जब भूखंड रियायती दर से आवंटित करवाया गया था तब सरकार की एक शर्त भी थी कि उस पर कोई व्यावसायिक कार्य नहीं होगा। यह नियम है जिस पर एक गुट कायम है और वह व्यावसायिक निर्माण का वर्षों से विरोध कर रहा है। नगरपालिका ने अंतिम नोटिस भी दे दिया है कि व्यावसायिक निर्माण नहीं हटाया तो भूखंड सीज कर लिया जाएगा। भूखंड पूरा सीज होता है,कभी भी आधा दुकानों के निर्माण वाला सीज नहीं होता। यह भूखंड इस समय बहुत कीमती है जो सीज होने पर नगरपालिका की संपत्ति हो जाएगा। नगरपालिका का ताला एक बार लग जाने के बाद वापस लेना बहुत कठिन होगा। यदि वापस लेने के लिए कार्यवाही होगी तब यह लिख कर ही देना होगा कि व्यावसायिक निर्माण हटा लेंगे।  अब लिख कर देने में व्यावसायिक निर्माण हटाने में जो आनाकानी हो रही है वही सब करना होगा। अभी भूखंड सीज नहीं है और शनिवार रविवार दो दिन बाकी है जिसमें समझदारी से उचित निर्णय लिया जाना अच्छा होगा। प्रशासन के पास कोई विकल्प नहीं है न कोई बीच का रास्ता है, वह नोटिस के विपरीत कोई नया निर्णय नहीं कर सकता। जो लोग दुकानें बनाना चाहते हैं वे 15-20 सालों में विरोध करने वालों को सहमत नहीं कर पाए इसलिए गलती इनकी भी है। अभी तो कुछ लोगों द्वारा यह कहा जा रहा है कि विरोध करने वाले समाज की संपत्ति छिनवाना चाहते हैं और भविष्य में वे ही दोषी कहलाएंगे। लेकिन बाद में यह भी तो कहा जा सकता है कि विरोध करने वाले धर्मशाला निर्माण का विरोध नहीं कर रहे थे। वे दुकानों का विरोध कर रहे थे। दुकानों के निर्माण पर अड़े रहकर यह धर्मशाला नहीं बनाई जा सकती। सरकारी नियम ही मान्य होता है इसलिए ये दो दिन बड़े कीमती हैं। 

 नगरपालिका प्रशासन जिसमें प्रशासक पद पर उपखंड अधिकारी भरत जय प्रकाश मीणा है और अधिशासी अधिकारी पद पर पूजा शर्मा है जो नियम के विपरीत नहीं चल सकते और नोटिस अवधि बीत चुकी होने पर केवल नियमानुसार सीज की कार्वाई ही करेंगे। यदि भूखंड सीज हो गया तो लोग यही चर्चा करेंगे कि  रूपया तो बहुत था लेकिन सही निर्णय लेने की समझदारी नहीं की। समाज को बड़ा मानते हैं तो दुकानों के निर्माण में दिये रूपये का समाज हित में त्याग समझें और धर्मशाला बनाने को ही सर्वोत्तम माने। जो ट्रस्ट है या समिति है उस पर बड़ी जिम्मेदारी है,उसे समाज के इस भूखंड को सीज होने से बचाने का उचित निर्णय लेकर सही दायित्व निभाना चाहिए।०0०

5 सितंबर 2025.

करणीदानसिंह राजपूत

स्वतंत्र पत्रकार ( राजस्थान सरकार से अधि स्वीकृत लाईफटाइम)

सूरतगढ़. 94143 81356.

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