शुक्रवार, 5 सितंबर 2025

कुछ शिक्षक गुरू संत किधर जा रहे हैं?

 



* करणीदानसिंह राजपूत *

अब ज्ञान लेकर ही पैदा होते हैं और आवश्यकता से अधिक ज्ञान किशोर एवं युवा अवस्था में सोशल मीडिया मोबाइल से ले लेते हैं। प्राचीन काल में गुरूकुल व्यवस्था में एक ही गुरू प्रारंभ से अंत तक होता था। उनकी पूजा होती थी।

अब तो शिक्षा पूर्ण होने तक अनेक शिक्षक होते हैं। किसको गुरू माने? 

फिर अपराधियों के भी गुरू जो अपराधों के लिए ट्रेंड करते हैं। 

लेकिन आज जिनकी चर्चा कर सकते हैं वे होते हैं राजनीति के गुरू। राजनीति से बड़ा कोई क्षेत्र नहीं क्योंकि राजनीति में  सबकुछ मिल जाता है। सत्ताधारियों के राजनेताओं के गुरू अधिक ज्ञान ध्यान के कारण व्यभिचार अपराधों में जीवन भर के लिए जेलों में सजा भोग रहे हैं। चाहे गुजरात के संत गुरू हों चाहे पंजाब हरियाणा के संत गरू हों। राजनेताओं के कारण वे जेलों में भी गुरू हैं जहां कैदियों वाली ड्रेस नहीं, वे शानदार वस्त्र धारण करते हैं तथा पैरोल के नाम पर जब चाहें  जेलों से बाहर भी आते रहते हैं। पैरोल कितने समय अवधि का हो वह गुरू जी ही बताते हैं। अब यहां महत्वपूर्ण प्रश्न यह पैदा होता है कि जो जेलों में बंद हैं उन गुरूओं से कैसा ज्ञान मिला होगा,उन्होंने कैसा ज्ञान दिया होगा? अब उस ज्ञान के दृश्टान्त भी सामने आ ही रहे हैं। ऊंचे पद पर बैठे राजनेताओं का कुछ भी बिगड़ता नहीं। वे चाहे जितनी रंगरेलियां मनाएं? 

अनेक राजनेताओं का व्यभिचारी रूप खुल गया उनका कुछ भी नहीं बिगड़ा तब हालात ऐसे हो गए हैं कि अनेक शिक्षक शिक्षिकाओं के स्कूलों के अंदर के विडिओ वायरल हो चुके हैं। छात्राओं के साथ अभद्रता के मामले भी सामने आते रहते हैं। शिक्षक गुरू संत किधर जा रहे हैं? यह कौन विचार करे? इसका उत्तर मिलेगा कि विभिन्न समाज विचार करे लेकिन ये जो विभिन्न समाज हैं, ये किधर जा रहे हैं? समाज के बड़े लोग भी भटक रहे हैं।०0०

शिक्षक दिवस. 5 सितंबर 2025.

करणीदानसिंह राजपूत,

स्वतंत्र पत्रकार ( राजस्थान सरकार से अधि स्वीकृति लाईफटाइम)

सूरतगढ़ ( राजस्थान )

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