* करणीदानसिंह राजपूत *
बरसात से पहले किसी नेताओं नेतियों ने गरीब बस्तियों की सुध नहीं ली,लेकिन ज्योंहि पानी भरा तब कोठियों से निकले,पानी में फोटो खिंचवाई सोसल साइट्स पर ग्रुपों में डाली और लौट गए। किसी ने एक दिन किसी ने दो दिन,किसी ने एक बस्ती किसी ने दो तीन बस्तियों में घूमने पीड़ितों से बातचीत के फोटो विडिओ कराए। बस यह हुआ कागजी रूमाल से आंसू पोंछना।
अब बरसात बंद है तो पानी निकासी के सही प्रबंधन के लिए कोई भी नेता नेतियां कच्ची बस्तियों, नीची बस्तियों, बहाव क्षेत्र की बस्तियों में नहीं जाते।
नेता नेतियां राज्यों की राजधानियों में या देश की राजधानी में पार्टियों के बड़े नेताओं को बुके भेंट करने,फोटो विडिओ कराने,प्रसारित कराने में व्यस्त हो गये। अनेक रात्रि पार्टियों में खासमखास बनाने के लिए प्रीति भोज देने में व्यस्त हो गये। बुके और प्रीति भोज ताकि कोई ऊंचा पद मिल जाए।कोई रुतबा बन जाए। बुकों और मालाओं में हजारों लगा देंगे मगर कच्ची बस्ती में किसी नेता नेती को कुछ खर्च करते नहीं देखा गया। जब कदम कदम पर धूर्तता हो तब बुके मालाएं रात्रि पार्टियां देकर कुछ पा लेने का शार्ट कट तरीका अपनाने का प्रचलन बढ गया है। कुछ विशेष पद पा लेने के लिए कद बढा लेने के लिए रूपया और उससे आगे मुंहदिखाई तक को पीछे छोड़ कर और आगे बढ गए। सहमति हो तो फिर पद का मिलना भी संभव। कभी सब कुछ अर्पण के बाद भी सावन सूखा रह जाता है और बादल कहीं दूसरे पर स्नेह बरसा देते हैं। राजनीति में पहले पैसे का,शराब पार्टियों का भ्रष्टाचार शुरू हुआ जो बहुत आगे तक बढ गया है। अब तो मुंह दिखाई में भी शर्म नहीं। बस,पद मिल जाए।.०0०
10 अगस्त 2025.
करणीदानसिंह राजपूत,
पत्रकार ( राजस्थान सरकार से अधिस्वीकृत लाईफटाइम)
सूरतगढ़ ( राजस्थान )
94143 81356.
* प्रकाशित कर सकते हैं।अनुवाद भी कर सकते हैं।
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