* करणीदानसिंह राजपूत *
देश काल की बात करें तो जनता सुखी नहीं संतुष्ट नहीं। शासन प्रशासन को कोई डर नहीं। सरकारें राजधानियों से लेकर ग्रामों तक अधिकारी कर्मचारी चलाते हैं जो आजकल किसी से डर नहीं रहे। सभी जगह उनकी मर्जी चल रही है और वे जैसा चाहे कर रहे हैं। वे कार्यालयों में आएं न आएं,कब आएं कब जाएं,किस फाईल को रोकें,महीनों तक निर्णय नहीं करें। सब उनकी मर्जी पर है। शनिवार रविवार का अवकाश होता है और शुक्रवार से ही अनेक अधिकारी गायब हो जाते हैं।
* रिश्वत के बिना काम नहीं हो रहे। न्याय कहीं दिखाई नहीं दे रहा। आखिर ये हालात दुर्दशा क्यों हो गई? पहले भय था अब क्यों नहीं है?
* पहले नेताओं का भय रहता था। प्रतिपक्ष के नेताओं से शासन प्रशासन भयभीत रहते थे और भय के कारण राज पर अंकुश रहता था।
* अब नेताओं का कोई भय नहीं है। नेता भाषणी हो गये हैं। भाषणी नेताओं से कोई नहीं डरता। ये भाषणों तक ही सीमित होते हैं। मंच मिला तो वहां पहुंचे, भाषण दिया, फोटो खिंचवाए और गायब।
👌भाषणी नेता कभी लिखित में शिकायत नहीं करते। इस कारण वे कमजोर होते हैं और कमजोर की कोई भी बात अधिकारी कर्मचारी नहीं मानते। इसलिए हर जगह दुर्दशा हो रही है। जनता ही हर ओर भटकती है। गरीब की पुकार पर नेता काम नहीं करते। नेता वहां भाषण देते हैं जहां प्रचार मिले। नेताओं की इस कमजोरी के कारण कार्यालयों में सही काम भी वर्षों तक नहीं होते। आठ दस साल तक भी नहीं होते।
* भाषणी नेताओं के कारण आंदोलन संघर्ष तक भटका कर खत्म करा दिए जाते हैं। भाषणी नेता अधिकारियों से मिल जाते हैं। वारे न्यारे कर जाते हैं। गरीब पीड़ित को मालुम नहीं पड़ता कि उसको कहां बेच दिया।
👌 अपने आसपास अपने शहर गांव में देखें। कितने भाषणी नेताओं से लोग घिरे हैं। भाषणी नेताओं को पहचान लें और जहां मंच लगे वहां भाषणी नेताओं को माईक न सौंपे।०0०
6 जुलाई 2025.
करणीदानसिंह राजपूत,
पत्रकार,( राजस्थान सरकार से अधिस्वीकृत लाईफटाईम)
सूरतगढ़ ( राजस्थान )
94143 81356
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