रविवार, 8 जून 2025

गुरूशरण छाबड़ा जयंती 9 जून पर 2 बातें.

 

* करणीदानसिंह राजपूत *

पूर्व विधायक गुरु छाबड़ा ने राजस्थान में संपूर्ण शराब बंदी आमरण अनशन में अपने प्राण उत्सर्ग कर दिये थे लेकिन उनके मुख्य कर्म स्थल सूरतगढ़ में शराबबंदी कार्यक्रम पिछले 2 सालों से संपूर्ण प्रकार से बंद हो गया है। शराबबंदी पर काम करना तो दूर रहा उस पर कहीं बोलना लिखना परिचर्चा करना भी नहीं चाहते। राजनीति बहुत कुछ बदल देती है, खत्म कर देती है। राजनीति ने यहां शराबबंदी आंदोलन को खत्म कर दिया। शराबबंदी का नाम लेवा भी कोई दिखाई नहीं देता। शराबबंदी का कहीं नारा सुनाई नहीं देता। 

👌 छाबड़ा जी भ्रष्टाचार अनाचार रिश्वत आदि के घोर विरोधी रहे लेकिन यहां भ्रष्टाचार से लूट मची है और छाबड़ा जी के नाम लेवा किसी पीड़ित की सहायता करते हुए दिखाई नहीं देते।जनता को लुटता पिटता देख कर आंखें बंद कर लेना कौनसी राजनीति है? भ्रष्टाचार के मामलों को शिकायतों को अनदेखा करना और भ्रष्टाचारियों के विरूद्ध कार्यवाही नहीं करना,सरकार के आगे मंत्रियों के आगे नहीं रखना चुप रहना तो कोई भी राजनीति नहीं सिखाती। राजनीति तो जनता के बीच उनके दुख दर्द में साझीदार होकर ही की जाती है। ये गुण गुरूशरण में थे। 

*शराब पीने वालों के साथ हेलमेल रखकर शराबबंदी कार्यक्रम नहीं चलाए जा सकते और भ्रष्टाचारियों के साथ हेलमेल रखते भ्रष्टाचार के विरुद्ध कोई कार्यवाही नहीं की जा सकती। भ्रष्टाचारी साथ होंगे तब भ्रष्ट सरकारी अधिकारियों कर्मचारियों के विरुद्ध कार्य नहीं करेंगे बल्कि अपने साथ रहने वाले के कहने पर चलेंगे। अपने साथी का भ्रष्टाचार सरकारी सम्पत्ति हड़पने का काम दिखाई नहीं देगा और भ्रष्टाचार में सहयोगी अधिकारी कर्मचारी भी दिखाई नहीं देगा। यह नीति तो व्यक्ति को भ्रष्ट बनाती है और वह जनता से दूरी बढाती है। जनता गरीब असहाय पीड़ित दुखों में डूबी हो सकती है लेकिन एक बार के काम पड़ने और काम नहीं करने में ही समझ जाती है। जनता की समझ और अपनी कार्यशैली पर विचार करना उचित होता है। अपने एकदम साथ रहने वाले सहयोगियों के कामों और सुझावों में एक पर भी काम नहीं करवा पाना राजनीति में बड़ी मूर्खता होती है। राजनीति में धरती पर काम करने वाले सफल होते हैं और ये गुण गुरूशरण छाबड़ा में थे। गुरूशरण छाबड़ा का नाम और नारा नहीं, उनकी नीतियों का अनुशरण होना चाहिए।

 गुरूशरण छाबड़ा की जयंती 9 जून को मनाई जाती है। छाबड़ा ने जनता की मांगों के लिए,परेशानियों को दूर करने के लिए 

अनेक संघर्ष किए। उनकी स्मृति में राजकीय महाविद्यालय का नाम स्व.गुरूशरण छाबड़ा राजकीय महाविद्यालय किया गया। यहां पुरानी आबादी राजकीय उ.मा.विद्यालय का नाम भी उनके नाम पर कर दिया गया।

* राजकीय सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र के आगे उनकी आदमकद प्रतिमा है। सूरतगढ़ में उनकी प्रतिमा बड़े बाग में स्थापित होनी चाहिए।०0०

8 जून 2025.

करणीदानसिंह राजपूत,

पत्रकार ( राजस्थान सरकार से अधि स्वीकृत लाईफटाईम)

सूरतगढ़ ( राजस्थान )

94143 81356

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