महिला जिला कलेक्टर जवाब दें:क्यों ताले लगे हैं महिला टायलेट्स पर.
* करणीदानसिंह राजपूत *
महिला दिवस 8 मार्च पर महिला जिला कलेक्टर डा.मंजू से प्रश्न है कि सार्वजनिक महिला टायलेट्स और सरकारी कार्यालयों के महिला टायलेट्स पर ताले क्यों लगे हैं? सरकारी कार्यालयों में आने वाले केवल पुरुषों के टायलेट्स ही खुले रहते हैं। क्या सरकारी कार्यालयों में आने वाली महिलाओं को लघुशंका दीर्घशंका नहीं होती? कार्यालयों के प्रधान अधिकारियों को यह पक्का मालुम है जो वे महिला टायलेट्स पर ताला लगवा कर रखते हैं और तालों की चाबी किसी महिला कर्मचारी के पास होती है और केवल सरकारी महिला कर्मचारी ही उनका इस्तेमाल करती हैं।
* सार्वजनिक टायलेट्स में महिलाओं के हिस्से की सफाई तक नहीं होती। नगरीय क्षेत्रों में तो हालात बहुत ही खराब और सोचनीय हैं। महिला टायलेट्स गंदगी भरे हुए जहां से संक्रमण का खतरा ही रहता है। नगरपालिका नगरपरिषद के अधिकारियों और सफाई निरीक्षकों को कोई परवाह नहीं। टायलेट्स के गंदगी भरे समाचार और फोटो प्रकाशित होते रहते हैं,मगर फिर भी किसी को परवाह नहीं।
* प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का स्वच्छ भारत अभियान को भी जिले में ठोकर मारी हुई है।
** यहां सूरतगढ़ नगरपालिका क्षेत्र में सुभाष चौक के महिला टायलेट की फोटो गंदगी के एक प्रमाण के रूप में दी जा रही है। यह फोटो 16 फरवरी को प्रकाशित की थी और अभी 7 मार्च तक यही हालात थे। टायलेट की दीवार पलस्तर नहीं। छत पर घास ऊगा हुआ। गंदगी भरा। क्या एक्शन होगा?
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8 मार्च 2025. महिला दिवस.
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