देश से बहुत कुछ छुपा रहे हैं पीएम मोदी:पत्रकार वार्ता नहीं करते.जनता को पत्रों के उत्तर भी नहीं देते.
* करणीदानसिंह राजपूत *
देश से सरकार और अपने बारे में बहुत कुछ छुपा रहे हैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जिसके कारण पत्रकार वार्ता नहीं करते। पत्रकार कुछ पूछ न ले जिसका उत्तर बहुत कुछ उलटा कर रख दे। देश के हरेक प्रधानमंत्री ने प्रेसवार्ता की और साधारण और तीखे हर प्रकार के प्रश्नों के उत्तर भी दिए। मोदी देश के पहले प्रधानमंत्री हैं जो जन साधारण के पत्रों के उत्तर भी नहीं देते। हरेक प्रधानमंत्री के काल में पत्र भेजने वाले शिकायत कर्ता को वापसी पत्र में उत्तर मिलता था कि उसकी शिकायत किस शाखा में भिजवाई गई है। जनता प्रधानमंत्री से बड़ी उम्मीदें रखती है कि वहां सुनवाई होगी लेकिन उत्तर ही नहीं मिले तो निराशा होती है।
* यही हाल भारत सरकार के गृहमंत्री अमित शाह का भी है। वहां से भी उत्तर नहीं मिलता।
** प्रधानमंत्री से वृद्धों ने बड़ी आशा की लेकिन सभी निराश हुए।
* वरिष्ठ नागरिक स्त्री पुरूष उम्मीद रखे हुए थे कि रेल यात्रा किराए में कंशेसन पुनः शुरू कर दिया जाएगा। चुनाव आचार संहिता लगने से पहले तक उम्मीद थी लेकिन बहुत बड़ी निराशा मिली। वृद्ध आखिर कितनी यात्रा कर पाते होंगे? एक्सप्रेस रेलों के जनरल कोच स्लीपर कोच की सीटें खाली भी रहती हैं। यदि वृद्ध उनपर किराए छूट में यात्रा कर लेते तो रेल को कुछ तो लाभ ही मिलता?बहुत कुछ देने की घोषणाएं चुनाव में होती हैं। लेकिन वरिष्ठ नागरिकों के लिए कुछ भी नहीं।
* वरिष्ठ नागरिकों से वोट तो लेना चाहें मगर देने में कुछ भी न दें तब आखिर वरिष्ठ नागरिक भी चुनाव में ही सोचेगा कि वोट देना है या नहीं देना है। यहां मोदी का पक्ष कमजोर पड़ता है। लोग भाजपा को मोदी को वोट क्यों दें? भाजपा के नेता कार्यकर्ता तो पड़ोसी वृद्वों की हालत पूछने तक नहीं जाते तब उनको मोदी के नाम पर वोट कैसे मिले? जनता ने 2014 में मोदी सरकार बनाई। जनता ने 2019 में दूसरी बार मोदी सरकार बना दी लेकिन इस बार सोच लिया कि तीसरी बार मोदीजी को वोट क्यों दिया जाए? इस बार मोदीजी के नाम पर कमल के निशान पर वोट देने की ईच्छा जागी ही नहीं। बड़ी संख्या में लोग मोदी के साथ नहीं और मोदीजी को वोट नहीं। बहुत कम लोग हैं जो मोदीजी के साथ हैं।
👍 मोदीजी प्रेसवार्ता नहीं करके जो देश से छिपा कर रखना चाहते थे वह सच्च इलेक्ट्रोल बांड से उजागर हो गया। जीत नहीं मिली तो पीएम केयर फंड का राज भी किसी दिन खुल जाएगा।
* राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति,प्रधानमंत्री,गृहमंत्री, विदेश मंत्री का जीवन शिक्षा चिकित्सा आदि तो पारदर्शीता पूर्ण होना चाहिए। किसी पर पर्दा नहीं होना चाहिए कि सवाल उठें। लोग जानना चाहते हैं। जिज्ञासा होती है। हमारे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी की शिक्षा चिकित्सा के बारे में पर्दा रखा जाता है।
**अपने ही देश की जनता को अपना नहीं मानते। सन् 2024 के चुनाव इन सबके लिए असाधारण असामान्य हैं। बदलाव हो जाए तो बड़ी बात हो जाएगी। हवा मोदीजी के पक्ष में नहीं बह रही। ऐसा सभी को आभास हो रहा है।
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24 मई 2024.
करणीदानसिंह राजपूत,
पत्रकार व समीक्षक.
पत्रकारिता के 60 वर्ष.
सूरतगढ़ ( राजस्थान )
94143 81356
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