डुंगर की जीत कुछ नेताओं की राजनीति खत्म कर देगी.
* करणीदानसिंह राजपूत *
सूरतगढ़ 3 दिसंबर 2023.
चुनाव परिणाम रविवार 3 दिसंबर को आएंगे और डुंगरराम गेदर की जीत होने के बाद कुछ दिग्गज नेताओं की राजनीति खत्म हो जाएगी। एकदम से नहीं मरी तो सिसकते पीड़ा भोगती मरेगी। राजनीति सोरे सांस नहीं छूटती। यह कहावत सालों से सुन रहे हैं।
सूरतगढ़ की जनता न्याय करेगी। कांग्रेस और भाजपा दोनों पार्टियों में बदलाव की मांग थी कि नये चेहरे को उम्मीदवार बनाया जाए। यही मांग जनता की थी।
कांग्रेस ने नया चेहरा डुंगरराम गेदर को उम्मीदवार बना चुनाव में उतारा। यहां तक कि मूल ओबीसी कुम्हार को टिकट दिया।
भाजपा ने कार्यकर्ताओं की और जनता की मांग को ठुकरा दिया। भाजपा को मोदी के नाम का बड़ा घमंड। हमने उतार दिया। नये जवान को टिकट दें या पुराने 72 साल के वृद्ध को दें यह हमारी मर्जी। बड़ी पार्टी बड़ा घमंड और ऊपर से मोदी का नाम।
भाजपा के तीन नेताओं जो विधायक रह चुके, रामप्रताप कासनिया,अशोक नागपाल और राजेंद्र सिंह भादु को पिछले सालों के हालात देखते सुझाव दिए गये कि तीनों अब आराम करें। लेकिन तीनों ने टिकट मांगने में दिन रात एक करदी। कासनिया ने 2018 का चुनाव लड़ने से पहले यह घोषणा की कि यह आखिरी चुनाव है इसके बाद नहीं लड़ेंगे। लेकिन 2023 में फिर टिकट मांगने लगे और पार्टी ने नयों की मांग को ठुकराया तथा फिर से कासनिया को टिकट दे दी। नागपाल का भविष्य में कुछ नहीं है मगर पार्टी में विरोध नहीं किया और कासनिया जी को जिताने के लिए साथ हो लिए। राजेंद्र सिंह भादू को विश्राम करना था लेकिन कासनिया को टिकट मिली का बहाना बनाकर वे बागी होकर चुनाव में उतर गये। कासनिया को किसी तरह से विधायक बनने से रोकना था। इसे कह सकते हैं कि भादू ने खुली चुनौती से निर्दली चुनाव लड़ा। कासनिया से धोखा नहीं किया। साथ रहते वोट मांगने का नाटक करते हुए छुरा नहीं मारा। लोग साथ में रहे और वोटों पर कैंची चलाते रहे। वैसे समीक्षा करते देखा जाए तो यह धोखा छल नहीं कहा जा सकता। जब आदमी वचन से मुकर जाए तो उसके साथ ऐसा व्यवहार करना धोखा भी नहीं कहलाता। आखिरी चुनाव का कहा और खुद ही नहीं माने। जनता ने आखिरी चुनाव बना दिया।
जनता की बात नहीं मानी। अब आपकी कही बातों भाषणों से आपके पुत्र संदीप कासनिया की बात जनता क्यों मानेगी? पराजित पिता के पुत्र की बात तब मानी जाए जब पार्टी में और कोई नेता नहीं हो। पार्टी में नये चेहरे हैं वे अब कासनिया की राजनीति का काम तमाम करने के बाद सक्रिय हो जाएंगे। लेकिन इस चुनाव से भाजपा में कासनिया, भादू और नागपाल की राजनीति खत्म हो जाएगी। लोग हालचाल कुशलक्षेम पूछने मिलने जाते रहेंगे।
* लोग पशुओं को भी चारा आदि बदल बदल कर खिलाते हैं लेकिन भाजपा ने एक प्रकार का खाना खिलाया चाहे बनवाने वाले भादू कासनिया और इनसे पहले गंगाजल मील रहे हों।
* भाजपा ही नहीं कांग्रेस में भी मील की राजनीति खत्म हो गई। कांग्रेस उम्मीदवार डूंगर को हराने के लिए भाजपा के रामप्रताप कासनिया को समर्थन दे दिया। कांग्रेस ने गंगाजल मील सहित 4 जनों को पार्टी से निकाल दिया। एकदम से राजनीति को खत्म कर दिया।
* एक जैसा भोजन जनता खाना ही बंद कर दे तो निश्चित है की वे भोजनालय,रेस्टोरेंट आगे नहीं चलेंगे।
* डुंगरराम गेदर के चुने जाने के बाद समझदारी से सब चला तो फिर 2028 में भी बदलाव होने की संभावना नहीं रहेगी।
👍 वैसे पीछे रहने वालों को दबे रहने वालों को इस चुनाव से यह शिक्षा मिली है और ताकत का अहसास होगा कि वे एकजुट रहें तो राज बदल सकते हैं और और राज सालों तक कर भी सकते हैं।०0०