रविवार, 3 दिसंबर 2023

डुंगर गेदर शानदार जीते.कासनिया 2018 से भी घटे-मील ने कितने दिलाए.

 

* करणीदानसिंह राजपूत *

सूरतगढ़ 3 दिसंबर 2023.

सूरतगढ़ विधानसभा सीट पर सन् 2023 के चुनाव में कांग्रेस के डुंगरराम गेदर की शानदार जीत हुई है वहीं 2018 के बाद लगातार दूसरी बार चुनाव लड़ने वाले भाजपा के रामप्रताप कासनिया की करारी हार हुई है। भाजपा और उम्मीदवार की यह हार शर्मनाक हुई है कि सन् 2018 से भी कम वोट मिले हैं। 




* कांग्रेस के डुंगरराम गेदर को 2023 के चुनाव में 1,16,848 वोट मिले हैं।सन् 2018  में कांग्रेस के हनुमान मील को 58,797 वोट मिले थे। इस बार 58,051 वोट अधिक मिले। डुंगरराम गेदर ने 2018 का चुनाव बसपा की टिकट पर लड़ा था जिसमें 55,543 वोट मिले थे। 2018 में मिले बसपा और कांग्रेस के वोटों को जोड़ने जितने वोट इस बार गेदर ने प्राप्त कर लिए। गेदर ने इस बार भाजपा के कासनिया से 50,459 वोट अधिक प्राप्त कर जीत प्राप्त की।

* भाजपा के रामप्रताप कासनिया को सन् 2018 में 69,032 वोट और 2023 में 66,382 वोट यानि 2,650 वोट कम मिले। इस शर्मनाक स्थिति पर भाजपा विचार करे कि 2018 से कुल वोट बढे फिर मोदी जी के भाषण सुनाए गये। 

* कांग्रेस के पूर्व विधायक गंगाजल मील और उनकी टीम ने भी साथ दिया था। गंगाजल मील भी विचार करे और बताए कि उन्होंने और उनकी टीम ने आखिर कितने वोट कासनिया को दिलाए और वे वोट कहां हवा हो गए? कांग्रेस के डुंगरराम गेदर को हराने के लिए गंगाजल मील और उनका ग्रुप कासनिया के साथ लगा लेकिन कासनिया को जिता नहीं पाए और डुंगरराम को हरा नहीं पाए। उलटा शर्मनाक हालत यह हुई कि कांग्रेस से भी निकाल दिए गये। क्या कासनिया की राजनीतिक हालत इतनी गंभीर गिरी हुई थी कि मील समर्थन के बावजूद 2018 की हालत से भी कमजोर रहे। इतनी गंभीर गिरी हुई हालत थी तब भाजपा के वे सभी नेता भी शर्मनाक हार के लिए जिम्मेदार हैं जिन्होंने कासनिया को टिकट दिलवाई और जनता व कार्यकर्ताओं की नहीं सुनी। इस शर्मनाक हालत को इस तरह से भी समझना चाहिए कि कासनिया जी के काल में पहले भाजपा की नगरपालिका की सत्ता हारी। इसके बाद पंचायत समिति की भाजपा सत्ता हारी। ये चेतावनियां दी गई कि कासनिया को टिकट दी गई तो विधानसभा सीट भी हरा दी जाएगी और कांग्रेस को सौंप दी जाएगी। यह भी हो गया। इतनी शर्मनाक हालत के बावजूद कहा जा रहा है कि राजस्थान में भाजपा की सरकार बनेगी और कासनिया जी और उनके पुत्र संदीप कासनिया की राय ही चलेगी। क्या भाजपा में कासनिया ही हैं बाकी कोई जिंदा नहीं है?

* इस बार बसपा के महेन्द्र भादू को रिकार्ड तोड़ हार मिली है। बसपा को केवल 2,153 वोट ही मिले। सन 2018 में बसपा को 55,543 वोट मिले थे।

*भाजपा के बागी पूर्व विधायक राजेंद्र सिंह भादू को भी शर्मनाक हालत का सामना करना पड़ा। भादू को 9,826 वोट मिले।

* जननायक जनता पार्टी  के प्रदेश अध्यक्ष पृथ्वीराज मील को केवल 6840 और आम आदमी पार्टी के लीलाधर स्वामी को 1895 वोट ही मिले।( प्रमाण के लिए आंकड़े सरकारी दफ्तर से लेकर उपयोग करें)०0०

करणीदानसिंह राजपूत,

पत्रकारिता के 60 वर्ष.

(राजस्थान सरकार से अधिस्वीकृत)

सूरतगढ़ ( राजस्थान )

94143 81356

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