शनिवार, 19 अगस्त 2023

दुष्टों भ्रष्ट्राचारियों को मारना है या भाजपा में शामिल कर बचाते रहना है.

 


* करणीदानसिंह राजपूत *


👍कृष्ण ने कहा था दुष्टों अत्याचारियों का संहार करने को। सभी गीता के ज्ञान को स्वीकार करते हैं। कथाएं सुनते हैं। हर साल कृष्ण जन्माष्टमी मनाते हैं।* यह कार्य प्रजातंत्र में चुनी हुई सरकार को करना होता है। लेकिन क्या भारत में ऐसा हो रहा है या इसके विपरीत किया जा रहा है। 

दुष्टों भ्रष्ट्राचारियों को मारना है या भाजपा में शामिल कर बचाते रहना है? पहले करोड़ों रूपयों के भ्रष्टाचार घोटाले के आरोप लगाए जाते हैं और एजेंसियों के जांच और नोटिसों के समाचार प्रकाशित प्रसारित होते हैं। कुछ दिन बाद आरोपों से घिरा व्यक्ति नेता पार्टी बदल भाजपा में आता है और दूध का धुला पवित्र बन जाता है। एजेंसियों की जांचें नोटिस आदि सब खत्म हो जाते है? ऐसा व्यवहार आखिर कब तक चलेगा? राज की शक्ति है तो मनमर्जी चलेगी।कानून नियम बस्तों में बंद रख देंगे। अखबार और टीवी चैनल करोड़ों के विज्ञापन मिलते रहने / दिए जाने के लिए डरते रहेंगे। दबाए जाते रहेंगे। यह हो रहा है और स्वतंत्र भारत के लोग सब देख रहे हैं। बहुत डरपोक स्वार्थी हो गये हैं सो आगे भी देखते रहेंगे। अंग्रेजी सरकार से नहीं डरते थे लेकिन अब अपनी ही सरकार से भयभीत हैं। 


लेकिन जो कोई दुष्टों अत्याचारियों भ्रष्टाचारियों के विरूद्ध लिखता है, छापता है, शिकायत करता है, मुकदमा करता है तो उसकी सराहना नहीं की जाती उसको कोसते हैं। उसको बुरा भी बताते हैं। उसका विरोध करते हैं। समाज के लाभ के लिए काम करने वाले को आदतन शिकायत करने वाला कहते हैं। ऐसे व्यक्ति को ज्ञान देते हैं कि आपकी उम्र हो गई कोई धर्म कर्म करो और ये सब छोड़ो।

* ऐसा व्यक्ति संसार छोड़ देता है तो कुछ लोगों के मुंह से निकलता है 'अच्छा मर गया'। क्या पहले कोई मरा नहीं? क्या पहले किसी ने संसार छोड़ा नहीं? क्या आगे कोई संसार छोड़ेगा नहीं? कृष्ण भी तो चले गए लेकिन एक बड़ा सच्च भी चलता है जीवित रहता है। 

 * भ्रष्टाचारियों दुष्टों के विरुद्ध अभियान खत्म नहीं होता। वह कोई दुसरा चलाता है। अभियान नहीं मरता। एक मरता है तो दूसरा खड़ा होता है।

यहां मानलें कि कृष्ण जीवित रहता है।


* क्या दुष्टों अत्याचारियों भ्रष्टाचारियों के विरूद्ध कार्यवाही कर समाजहित में काम करना धर्म नहीं होता?

*दुष्ट भ्रष्ट लोगों से पीड़ित को बचाना धर्म नहीं होता? 

* दुष्टों अत्याचारियों भ्रष्टाचारियों से लाभ लेने वाले,उनके साथ व्यवसाय करने वाले,रिश्वतखोरी कमीशन खोरी में साथ देने वाले नालायक लोग सही का विरोध करते हैं। 

* गलत को गलत नहीं कहने वाले केवल खुद का लाभ देखते हैं और दुष्टों अत्याचारियों भ्रष्टाचारियों के और ऐसे नेताओं के तलवे चाटते हैं। ऐसे लोग समाज के हितैषी नहीं होते चाहे उनका कर्म क्षेत्र कोई भी हो। ऐसे लोगों के मुखौटे भी उतारे जाने चाहिए चाहे वह कोई भी हो। 

* असल में दुष्टों अत्याचारियों का संहार का आज का तरीका हत्या करना नहीं है, उनको किसी तरह से कानून को सौंपना है। जांच एजेंसियां जांच करे और न्यायालय सजा दे। 

* दुष्टों अत्याचारियों के मामलों में कृष्ण की नीति प्रजातंत्रात्मक तरीके से अपनाई जानी चाहिए। दुष्ट नया मुखौटा लगाकर आए तो भी दुत्कारा जाना चाहिए। 

* भ्रष्टाचारियों दुराचारियों को बचाने वाली पार्टियों सरकारों को चुनने के बजाए उनको सत्ता में आने से रोका जाना चाहिए। नेताओं को अपना रवैया और पार्टियों को अपनी नीतियों को एकदम साफ बनानी चाहिए।

०0०


👍 19 अगस्त 2023.




करणीदानसिंह राजपूत,

( 78 वर्ष)

पत्रकार,( 1965 से पत्रकारिता एवं लेखन)

( राजस्थान सरकार के सूचना एवं जनसंपर्क निदेशालय से अधिस्वीकृत)

सूरतगढ़ (राजस्थान)

94143 81356.

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