सफाई कर्मियों को कार्यालयों में ड्यूटी लगाना भ्रष्टाचार:आदेशों में मनाही है.
* करणीदानसिंह राजपूत *
स्थानीय निकायों नगर पालिका नगर परिषद आदि में सफाई कर्मचारियों के पद पर नियुक्ति और काम कार्यालयों में कराए जाने से अनेक गंभीर गलतियां होती है। कोई भी काम समय पर नहीं होता जिससे पत्रावलियां पांच सात महीनों तक पड़ी रहती है। लोग अपने कामों के लिए चक्कर काटने को मजबूर होते हैं। कार्यालय और कम्प्यूटर पर लगाए सफाई कर्मी स्त्री पुरूष सिफारिश वाले होते हैं। सफाई कर्मचारी के पद पर नियुक्त तो हो जाते हैं लेकिन सफाई के काम पर ड्यूटी नहीं देते। ऐसे में रिश्वत का भ्रष्टाचार भी पनपता है। इनकी गंभीर गलती पर अधिकारी अपना सिर भी पीटते हैं। अध्यक्ष पार्षदों आदि के कहने पर अधिशासी अधिकारी ऐसी गलत कार्यवाही करते हैं। नगरपालिका कर्मचारी किसी न किसी बड़े अधिकारियों के घरों पर भी काम करते हैं और हाजिरी नगरपालिका में लगती है।
जब जब मांग होती है तब तब उसे रद्दी की टोकरी में फेंक दिया जाता है। अधिक मजबूत से मांग हो तो यह भ्रष्टाचार हो ही नहीं सकता।
सफाई कर्मचारियों से काम अन्यत्र करवाए जाने से सफाई व्यवस्था खराब रहने की शिकायतें लगातार हो रही है।
अधिशासी अधिकारी आदि सरकार के आदेशों का पालन नहीं कर रहे। यह भ्रष्टाचार अनेक हितों से हो रहा है।
👍 राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पत्र लिखा गया था। उक्त पत्र 2 अगस्त 2021 को लिखा गया। उसमें यह मांग हुई थी कि नगर पालिका में सफाई कर्मचारियों को दफ्तरों में या अन्य शाखाओं में लगाया हुआ है जो गलत है। राजस्थान सरकार के स्वायत शासन विभाग द्वारा पिछले कई सालों में अनेक पत्र इस बाबत लिखे गए लेकिन उनका पालन अधिशासी अधिकारी नहीं कर रहे। ( ये पत्र हर नगरपालिका कार्यालय नगर परिषद कार्यालय में फाईलों में मौजूद हैं। देखे जा सकते हैं)
मुख्यमंत्री से यह मांग की गई थी कि यह मामला भ्रष्टाचार से संबंधित है और इसकी जांच भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो को दे दी जाए। राजस्थान में अभी भी यह अव्यवस्था जारी है। नगरपालिका कर्मचारियों को अन्यत्र लगाया हुआ है जिससे सफाई व्यवस्था बिगड़ रही है।
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