रविवार, 3 अप्रैल 2022

नगरपालिका सूरतगढ़ बदबू मार रही मगर नेताओं के नाक बीमार हैं और नीतियों में खोट

 

* करणीदानसिंह राजपूत *

नगर पालिका सूरतगढ़ के भ्रष्टाचार की बदबू आम नागरिकों को महसूस हो रही है लेकिन राजनैतिक पार्टियों के नेताओं को बदबू आती नहीं। उनका नाक खराब है या नीति में खोट समाई हुई है कि वह जनता के साथ खड़ा नहीं होना चाहते और भ्रष्टाचार के विरुद्ध सीधी लड़ाई नहीं लड़ना चाहते।

भारतीय जनता पार्टी के नेता विधायक रामप्रताप कासनिया कहते हैं कि प्रदेश में कांग्रेस पार्टी का राज है उनकी चलती नहीं।नगर पालिका मैं कांग्रेसका बोर्ड है अध्यक्ष ओम प्रकाश कालवा कहते हैं कि बजट नहीं है पैसा नहीं है। काम करें तो कैसे करें? सफाई के लिए पूरा स्टाफ है फिर सफाई क्यों नहीं होती?सड़कों के गड्ढे भरे जाने वाला मामूली काम जितना भी पैसा नहीं है? यदि ऐसी स्थिति है तो फिर कुर्सियों पर क्यों बैठै हो? कालवा को जो हालात या व्यवस्था मिली थी वह ठीक नहीं हुई और बुरी हो गई। 

दोनों की नीतियां ईमानदारी से दूर है।

 भारतीय जनता पार्टी को लगता है कि जनता जितना ज्यादा परेशान होगी उतना ही कांग्रेस से दूर होगी तथा भारतीय जनता पार्टी के अलावा वोट देने का कोई दूसरा विकल्प उनके पास नहीं होगा।मजबूर होकर भारतीय जनता पार्टी को ही विधानसभा चुनाव में वोट देना होगा। यह सोच बेईमानी से भरी हुई है। जनता के लिए कुछ भी नहीं किया जाए पीड़ित जनता के साथ खड़ा नहीं हुआ जाए कांग्रेस के भरोसे जनता को छोड़ ठोकरें झटके सड़ांध में बीमार होने के लिए छोड़ दिया जाए। यह शुद्ध सोच नहीं है। यह कपट और बेईमानी वाली सोच है। जनता जब भयानक कष्टों में हो तो उसके साथ खड़ा होना पड़ता है तभी सच्ची हमदर्दी महसूस होती है।लेकिन सूरतगढ़ में विधायक रामप्रताप कासनिया हमदर्द नजर नहीं आते।पूर्व विधायकों राजेंद्र भादू और अशोक नागपाल भी जनता के नजदीक नहीं हैं।

भारतीय जनता पार्टी के नगर मंडल देहात मंडल मोर्चा के नेता भी जनता से बहुत दूरी पर खड़े हैं।क्या यह दूरी आने वाले कुछ महीनों में चुनाव से पहले भर जाएगी यह दूरी मिट जाएगी। भारतीय जनता पार्टी जनता की ओर बढ़ेगी या फिर पीड़ित जनता भारतीय जनता पार्टी की और बढ़ेगी। असमंजस की स्थिति है।


फिलहाल भाजपा माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के चेहरे पर ही लीपापोती करके वोट मांगने की इच्छुक है। नरेंद्र जी मोदी जी के राज में महंगाई आसमान छू रही है बल्कि कहना चाहिए कि आसमान में छेद कर चुकी है।मोदी जी की ओर से महंगाई को रोकने का कोई भी प्रयास किया हुआ नजर नहीं आ रहा। जनता बुरी तरह से पीड़ित है। आवाज यह भी उठ रही है कि भाजपा को भी सबक सिखाया जाए। 


वर्तमान में नरेंद्र जी मोदी का एक वीडियो क्लिप सोशल मीडिया पर जोर शोर से चल रहा है जिसमें मोदी जी कांग्रेस पर छींटाकशी कर रहे हैं बढ़ती महंगाई पर गैस सिलेंडर पेट्रोलियम पदार्थों परजनता से पूछ रहे हैं कि भाइयों बताएं महंगाई बढ़ रही है कि नहीं बढ़ रही है।यह वीडियो 2013 का है। 2014 के चुनाव से ठीक पहले का है। किसी तरह से राज प्राप्त करने के लिए जो प्रयास हुए उसका है।

 अब 2022 में मोदी जी नहीं बोल रहे हैं। भारतीय जनता पार्टी भी नहीं बोल रही है। भारतीय जनता पार्टी का कोई कार्यकर्ता भी नहीं बोल रहा है। रसोई गैस घरेलू सिलेंडर रिफिल हाल ही में ₹982 का हो गया। बहुत कष्टकारी स्थिति है। पेट्रोल डीजल ₹100 प्रति लीटर से अधिक पर खरीदने को मजबूर है।


2014 से अब तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी का राज है। मोदी जी ने जो कुछ कहा उस पर क्या वे खरे उतरे हैं? जवाब मिलेगा कि नहीं नहीं नहीं ।महंगाई पर नियंत्रण रखने के तरीके खोजना और उन्हें  लागू करना भारत सरकार का कर्तव्य तो बनता है।

लेकिन भारतीय जनता पार्टी की भारत सरकार ने इस पर कुछ भी नहीं किया।


हम सूरतगढ़ की बात कर रहे हैं देश में बढ़ रही महंगाई  का असर सूरतगढ़ में भी हो रहा है। सूरतगढ़ में भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता ऊपर से कोई कार्यक्रम आता  है तो उस पर बैनर और झंडे लेकर घंटे 2 घंटे का प्रदर्शन जरूर कर लेते हैं लेकिन नगर पालिका और राजस्व विभाग के ऊपर कभी सीधे लड़ाई नहीं करते। कहीं ना कहीं नेताओं का व्यक्तिगत हित प्रभावित होता है इसलिए नेता और उसके साथ जुड़े हुए 10-20 लोग चुपचाप घरों में पड़े रहना उचित समझते हैं। ये सभी भ्रष्टाचार होता हुआ देखते रहते हैं। सूरतगढ़ में हर एक परेशानी पर समीक्षा की जाए तो भारतीय जनता पार्टी शून्य नजर आती है।


 विधायक रामप्रताप कासनिया के अलावा दो पूर्व विधायक भी हैं राजेंद्र सिंह भादू और अशोक नागपाल यह अपना रिपोर्ट कार्ड तीनों जनता के सामने पेश करें तो स्थिति एकदम साफ हो जाएगी।इन तीनों नेताओं की जनता के प्रति कितनी जवाबदेही है और उसके अनुसार इन्होंने क्या कार्य किया है? 

अब चुनाव का समय करीब डेढ़ साल बचा है।तब अशोक नागपाल अपने घर से बाहर निकलने लगे हैं। वह भी जनता की परेशानियों में नहीं जहां धूम धड़ाका हो तप्पड़ किसी और का बिछा हुआ हो लाउडस्पीकर व्यवस्था किसी और की हो तो वहां पर घंटे दो घंटे बैठना और भाषण देना। धरना प्रदर्शन आदि में शामिलहोना।नागपाल जी बहुत वर्षों से केवल शक्ल दिखाने वाली जगह पहुंचते हैं और सोशल मीडिया पर जयंती पर बधाई और पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि अर्पित करने के अलावा कहीं कोई काम करने के इच्छुक नहीं रहे। यह जो घर से बाहर निकलना शुरू हुआ है वह अभी चुनाव की  नज़दीकियां देखते हुए शुरू किया गया है। लेकिन कहीं कांग्रेसियों से भ्रष्टाचारी प्रशासन से सीधी टक्कर वाली बात नहीं है। 

राजेंद्र सिंह भादू  कुछ प्रकरणों में आवाज उठाते हुए दिखाई पड़ते हैं मगर वह भी 2- 4 प्रतिशत ही कार्य कर रहे हैं। 

 रामप्रताप कासनिया के पास सरकारी फंड भी देने को है और भरपूर दिया भी है लेकिन उसका प्रचार करने का लोगों को बताने का कार्य करने वाला कोई नहीं है।

अभी प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया इलाके में आए थे। पन्ना कार्यक्रम का शुभारंभ करने मतलब वोटर लिस्ट का एक पन्ना और उसका एक एक कार्यकर्ता जिसकी जिम्मेवारी होगी वोट डलवाने की। इससे पहले एक बूथ और दस यूथ का नारा खूब चला था लेकिन असल में वोट के समय मालूम हुआ कि यह योजना कार्यक्रम पूरी तरह से फेल हुआ। वोट तो डलवाए गए लेकिन बूथ के अंदर और बाहर जिनको बिठाया गया वे सच्चे दिल से बहुत कम थे। 


अभी भी यह स्थिति है कि भाजपा के साथ स्वागत अभियान में तो तयशुदा कार्यकर्ता दिखाई देते हैं लेकिन अभियान के अलावा कोई भाजपा के साथ खड़ा हुआ नहीं मिलता। नेताओं के पास में अपने-अपने काम है तो कार्यकर्ता व जनता के पास भी अपने-अपने काम है।

जब 2018 का चुनाव हुआ तब यह बात कही गई थी कि काम पड़े तो आधी रात को भी आओगे तो काम करेंगे। अब आधी रात और हर वक्त की छोड़ो दिन में भी काम नहीं करते।


बात वही सीधी टक्कर की है।भारतीय जनता पार्टी का एक भी नेता और कार्यकर्ता यहां कांग्रेस से सीधी टक्कर में खड़ा नहीं होना चाहता। यह स्थिति उन हालातों में है जब कांग्रेस के पास में मजबूत कार्यकर्ताओं की टीम नहीं है खाली खाली सी पार्टी है। भारतीय जनता पार्टी के नेता और कार्यकर्ता इस खाली-खाली सी पार्टी के साथ में भी युद्ध करने को तैयार नहीं है। इसे राजनीति नहीं कह सकते। इसे तो जनता से धोखा ही कहा जा सकता है। दोनों पार्टियां जनता के साथ यही व्यवहार कर रही है और अपने को सही भी बतला रही है।


सूरतगढ़ में नगरपालिका का बोर्ड कांग्रेस का है बोर्ड है पर कांग्रेस को जनहित की परवाह नहीं है। 

कांग्रेस को भी मालूम है कि 2023 में विधानसभा में  राज आना बहुत मुश्किल है फिर भी जनता के साथ खड़ा नहीं होना चाहते। नगर पालिका में अभी भी लोगों को छोटे छोटे काम के लिए धक्के खाने पड़ते हैं।

नगरपालिका का काम साफ सफाई प्रमुख है लेकिन शहर सडांध  मार रहा है नाले नालियां महीनों से साफ नहीं हो रहे। अनेक नालियां मिट्टी से भर कर बंद कर दी गई है जिन पर लाखों रुपए खर्चा हुआ था। 

गंदगी हर और खेल रही है। सूरतगढ़ शहर  को नाक बंद करना पड़ रहा है लेकिन नेताओं के नाक ही नहीं है या नाक बीमार है जिनमें गंध नहीं पहचानी जा रही। घरों से निकलकर 1-1 सड़क 1-1 गली और एक एक नाला नाली  प्रकाश व्यवस्था को देखें पर कोई ये काम करने का इच्छुक नहीं है। नेता इस इस सोच में है कि काम जनता करे नेता केवल राज करें।


रामप्रताप कासनिया जी को तो 2018 से 2023 तक का कार्यकाल जनता ने गिड़गिड़ाने पर सौंपा था। चुनाव से पहले पुरानी धान मंडी में एक सभा हुई थी जिसमें रामप्रताप कासनिया ने कहा था कि यह उनका आखिरी चुनाव है।अब इस हिसाब से जो अन्य लोग हैं उनको दिन-रात मेहनत और जनता के बीच में रहना जरूरी है लेकिन यह कार्रवाई नेताओं की तरफ से नहीं हो रही। कांग्रेस पार्टी मील परिवार के दबदबे पर यहां कार्य कर रही है लेकिन उसे भी जनता की कोई परवाह नहीं है।०0०

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