गुरुवार, 25 जनवरी 2024

*यहां फांसी चूमे सेनानी चप्पे-चप्पे में बलिदानी* कविता: करणीदानसिंह राजपूत*



यह देश हमारा भारत
दुनिया में सबसे न्यारा
यहां फांसी चूमे सेनानी
चप्पे-चप्पे में बलिदानी।

आओ फूलों से महकाएं
गीत वीरों के हम गायें
बलिदानों की गाथा
कभी भूले न बिसराएं।

यह देश हमारा भारत..

स्वर्ग सिरमौर  कश्मीर हमारा
हिम शिखरों  बीच में  छाया
गंगा यमुना का निर्मल जल
अमृत बन कर सबको भाया।

आजादी का जश्न मनाएं
गीत तिरंगे के हम गाएं
वीर जनों की कुर्बानी
सब गाएं और दोहराएं।

फूलों से महकाएं....

आधी शती का विकास हमारा
कुछ नया करने की ठानें
इलाका रहे न कोई खाली
सब और करें हरियाली।

आकाश ऊंचाइयां छूते रहें
मन साफ रहे घर साफ रहे
भाई भाई का प्यार रहे
जन जन में प्रीत संचार रहे।

यह देश हमारा भारत...

गांवों की चौपालों पर
नगरों के चौराहों पर
देशभक्ति का भान रहे
तिरंगे की शान रहे।

सीमा पर सीना ताने सैनिक
सुरक्षा का भार लिए
आने नहीं देंगे संकटकाल
खतरे में बन जाएं खुद हथियार।

अग्नि नाग और पृथ्वी
प्रक्षेपास्त्रों में नए निराले
अर्जुन टैंक की है दूर मार
दुश्मन की देते आंख निकाल।


भाभा का परमाणु ज्ञान 
अब्दुल कलाम का शस्त्र विज्ञान
भारत को दी नई रोशनी
विश्व में मिला ऊंचा स्थान।

यह देश हमारा..

गांधी चरखा यहां चलता
कल कारखानों में माल है बनता
नित नित नए-नए उत्पादन
विश्व में नाम कमाते जाते।

पंचशील की नीति हमारी
सत्यमेव जयते का नारा
अहिंसा का संदेश हमारा
दुनिया में है भारत न्यारा।

फूलों से महकाएं..

सूर्य चंद्र और असंख्य तारे
मीठी सुगंध रंगीन नजारे
रंग रंगीली धरती प्यारी
जगह जगह की छटा निराली।

छह ऋतुओं का देश हमारा
मीठे झरने मधुर समीरा
वन जंगल में मोर नाचते
राजस्थान में सोनचिड़ी गाती।

यह देश हमारा...

तेतीस कोटि हैं देवी देवता
दसो दिशाओं में पूजे जाते
वाहन इनके जीव जंतु हैं
सब लोको में जाते आते।

रामायण गीता संदेश सुनाते
कर्म गति का उपदेश बताते
घर में है पूजे जाते
चहुं ओर कीर्ति फैलाते।

फूलों से महकाएं..
भाई-बहन का स्नेह अनोखा
रक्षाबंधन का त्यौहार मनोरम
मीठे खीर बताशे मीठे
स्नेह बंधन में मिश्री घोले।

नाना भेष आंखों को भाए
नाना बोलियां कर्ण सुहाए
उच्च संस्कृति ऊंचे आदर्श
चरण स्पर्श और अभिवादन।

यह देश हमारा भारत...

कबीर रसखान नानक हुए यहां
मीरा ने है कृष्ण नाम पुकारा
प्रताप शिवा से वीर यहां पर
पन्ना को है सब ने गाया।

पद्मिनी के जौहर की याद
रानी लक्ष्मी की कुर्बानी
आल्हा उदल हुए यहां पर
कैसे भुलाए उनकी कुर्बानी।

फूलों से महकाएं...
भगत सिंह सुखदेव राजगुरु
फांसी के फंदे हंस हंस चूमे
आजाद की सिंह दहाड़ से
अंग्रेजों के दिल भी कांपे।

नेता सुभाष का जय हिंद नारा
लाल बहादुर ने जय किसान पुकारा
राम मोहन की चेतन आवाज
विधवाओं की हो सार संभाल।

यह देश हमारा भारत...

बुध का शीतल प्रकाश
महावीर की मीठी वाणी
जीव जंतु से करो प्यार
धर्म नीति संदेश सुनाती।

मंदिरों में होती है आरती
मस्जिदों में होती है कुरान
चर्चों में बंटता है यीशु संदेश
गुरुद्वारों में गूंजे है गुरुवाणी।

फूलों से महकाएं...

यह देश हमारा भारत
दुनिया में सबसे न्यारा
यहां फांसी चूमे सेनानी
चप्पे-चप्पे बलिदानी।

ये देश हमारा भारत...

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भारत की स्वतंत्रता 15 अगस्त 1947 को हुई। स्वतंत्रता की अर्धशती 1997-98 में मनाई गई तब यह कविता रची थी। आकाशवाणी के सूरतगढ़ केन्द्र से इसका प्रसारण हुआ। इसकी अवधि पंक्तियों के पुन: दोहराए बिना ही 14 मिनट 20 सैकंड रिकॉर्ड हुई। एक चंक दस मिनट में आठ मिनट देते हैं और दो मिनट उदघोषणा आदि में लगते हैं। इस कविता के लिए विशेष अवधि 15 मिनट दी गई थी। आकाशवाणी के विशेष सहयोग से यह प्रसारित हुई।*
अपडेट.14 अगस्त 2023.
अपडेट.25 अगस्त 2024.


करणीदानसिंह राजपूत,
पत्रकार,
सूरतगढ़.
94143 81356.
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