*चुनावी राज्य राजस्थान में एक बार फिर कमल खिलाने के लिए* मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया की 40 दिन तक चलने वाली 'राजस्थान गौरव यात्रा' शनिवार 4-8-2018 को शुरू हो गई।
बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह और वसुंधरा राजे ने राजसमंद जिले में स्थित चारभुजाजी मंदिर में दर्शन-पूजन के साथ ही इस यात्रा की शुरुआत की।
राजपूत मतदाताओं का गढ़ समझे जाने वाले राजसमंद में वसुंधरा ने महाराणा प्रताप, राणा कुंभा, भामाशाह, पन्ना धाय को नमन कर अपना मकसद भी साफ कर दिया।
वसुंधरा राजे की यह बहुप्रचारित 'राजस्थान गौरव यात्रा' अगले 40 दिन तक 165 विधानसभा सीटों से होकर गुजरेगी।
राजस्थान में विधानसभा की कुल 200 सीटें हैं। इस 6,000 किमी. यात्रा में राजे 135 रैलियों को संबोधित कर सकती हैं।
अमित शाह ने यात्रा की शुरुआत करते हुए वसुंधरा राजे के काम की प्रशंसा की। उन्होंने कहा, 'राजस्थान में जिस प्रकार से बीजेपी सरकार चली है, उससे मुझे भरोसा है कि यहां की जनता एक बार फिर कमल के फूल की सरकार बनाकर नया इतिहास रचेगी।' उन्होंने कांग्रेस पर भी हमला बोला। शाह ने कहा, 'राहुल गांधी और कांग्रेस हमसे सवाल पूछती है और हमारे चार साल का हिसाब मांगती है, इस देश की जनता तो आपसे आपके चार पीढ़ी का हिसाब मांग रही है।
इस यात्रा में वसुंधरा की कोशिश जनता के साथ सीधा संवाद साधने की रहेगी। इस दौरान उनका राज्य के प्रमुख मंदिरों में दर्शन-पूजन जारी रहेगा।
प्रदेश में साल होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले बीजेपी की इस यात्रा को शक्ति परीक्षण के रूप में देखा जा रहा है।
180 सीटें जीतना बीजेपी का लक्ष्य
इस यात्रा के महत्व का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि खुद अमित शाह इस रैली को रवाना करने के लिए राजसमंद पहुंचे। बीजेपी की कोशिश राज्य में 180 सीटें जीतकर फिर से सत्ता में आने की है। बीजेपी को पिछले चुनाव में 163 सीटें मिली थीं। अब तक राज्य में सिर्फ एक बार बीजेपी लगातार सत्ता में आई है। उस समय पूर्व राष्ट्रपति और बीजेपी के दिग्गज नेता भैरों सिंह शेखावत ने 1990-92 तक शासन करने के बाद 1993 में सत्ता में वापसी की थी।
अगर वसुंधरा राजे सफल होती हैं तो यह अलग तरह का रेकॉर्ड होगा, क्योंकि शेखावत की सफलता में 1992-93 तक एक साल का राष्ट्रपति शासन भी शामिल था। उसके बाद से एक बार बीजेपी तो दूसरी बार कांग्रेस सरकार बनाती रही है। कांग्रेस में इन दिनों नेतृत्व को लेकर घमासान मचा हुआ है। बीजेपी इससे चुनावी फायदे की उम्मीद कर रही है।
राजपूत संगठनों ने कांग्रेस को समर्थन का किया है ऐलान
बीजेपी विधायक और शाही परिवार की सदस्य दिया कुमारी ने महल सील करने का खुलेआम विरोध किया था। इससे मजबूर होकर वसुंधरा सरकार को पैलेस की सील को खोलना पड़ा। राज्य सरकार के इस कदम को राजपूतों ने पूरे समुदाय पर हमले के रूप में लिया था। इसके बाद कई राजपूत संगठनों ने कांग्रेस को समर्थन देने की घोषणा की थी। इसने बीजेपी नेतृत्व को चिंता में डाल दिया।
हाल ही में हुए उपचुनाव में भी वसुंधरा सरकार को राजपूत मतदाताओं के कोपभाजन का शिकार होना पड़ा था। बीजेपी को सभी तीन उपचुनावों में कांग्रेस के हाथों मात खानी पड़ी। केंद्र और आरएसएस के साथ अपने संबंधों के कारण वसुंधरा अब कोई रिस्क नहीं लेना चाहती हैं और माना जा रहा है कि राजपूतों को फिर से साधने के लिए वसुंधरा राजे यात्रा निकाल रही है।