* करणीदानसिंह राजपूत *
कहावत है कि नाग बिना छेडख़ानी के काटता नहीं है और छेड़खानी करने पर काटे बिना छोड़ता नहीं है। नाग कहते हैं तो वह बिना काटे कैसे छोड़ देगा। नाग की तो फुंफकार ही डरावनी होती है। नाग का डस जाए तो बचना मुश्किल ही होता है इसलिए नाग को काल मानते हैं। नाग को पालने पकड़ने वालों को कालबेलिया कहते हैं। कालबेलिया भी कितने भी उस्ताद हों, वे भी बहुत सावधान रहते हैं।
नाग तो नाग। न जाने कब डस ले। वैसे सही तो यह है कि किसी को नाग नहीं कहना चाहिए। नाग कह दिया है तो अपने बचने का प्रबंध करना चाहिए या हर समय सतर्क। बस! यही राजनीति का धर्म कर्म है और राजनीति के अलावा भी मान्यता है। नाग से बचना ही चाहिए।०0०
1 मई 2025.
करणीदानसिंह राजपूत,
पत्रकारिता 61 वां वर्ष.
( राजस्थान सरकार से लाईफटाईम
अधिस्वीकृत पत्रकार)
सूरतगढ़ ( राजस्थान )
94143 81356
*****
*****