मंगलवार, 15 अप्रैल 2025

अम्बेडकर नवयुवक संघ में 65 साल का परसराम भाटिया संयोजक क्यों? युवा हों.

 

* करणीदानसिंह राजपूत *

पिछड़े वर्गों के समाज के लोग आगे बढ सकें के लिए बाबा भीमराव अम्बेडकर ने जिन सिद्धांतों को अपनाने पर जोर दिया जिनमें तीन सिद्धांत शिक्षा संगठन और संघर्ष प्रमुख हैं। ये तीन सिद्धांत ऐसे हैं जिन पर नवयुवक ही बड़ा बदलाव कर सकते हैं। कहना चाहिए कि ये तीनों सिद्धांत नवयुवकों के ही हैं। नवयुवकों में काम करने की ऊर्जा अधिक होती है। युवा की उम्र 35 वर्ष तक मानते हैं लेकिन लोग 40 की उम्र तक भी युवा संगठनों के पदों से चिपके रहते हैं। बड़ी उम्र के लोग नवयुवक संगठनों से चिपके रहेंगे तो नवयुवकों को आगे बढने का मौका ही नहीं मिल पाएगा। नवयुवक समाज में चेतना जाग्रति की आवाज को कैसे पैदा कर पाएगा?  पिछड़े वर्गों में नवयुवकों की संख्या बहुत है लेकिन उनको मौका नहीं मिल रहा। 

* एक उदाहरण या प्रमाणित सच्च सूरतगढ़ का है। अम्बेडकर नवयुवक संघ में 65-70 वर्षीय परसराम भाटिया संयोजक है। बाबा साहेब अम्बेडकर जयंती 14 अप्रैल 2025 के कार्यक्रम का विवरण और अधिक संख्या में उपस्थित होने शामिल होने का आह्वान परसराम भाटिया ने किया। भाटिया साहेब युवा होते तो जोश होता आवाज से अधिक लोग इकट्ठे होते। लोग शोभा यात्रा में एकत्रित हुए जिनकी संख्या 500 तक मुश्किल में थी। बाबा साहेब की शोभायात्रा में सूरतगढ़ में 1000 से अधिक लोग होने चाहिए थे। भाटिया साहेब कांग्रेस में कार्यक्रम में एकत्रित होने का आह्वान करते हैं तो बड़ी मुश्किल से 40-50 लोग ही पहुंचते हैं। एक बार नहीं अनेक कार्यकर्मों में यह देखा जा चुका है।

👌 बाबा भीमराव अंबेडकर की अगली जयंती 2026 में आए उससे पहले अम्बेडकर नवयुवक संघ में बदलाव होना चाहिए  ताकि लोग अधिक जुड़ें। अम्बेडकर नवयुवक संघ के संयोजक हों अध्यक्ष हों अन्य पदाधिकारी हों वे सभी 35 की उम्र तक के हों जोशीले हों ईमानदार हों जो अम्बेडकर के तीन सिद्धांतों शिक्षा संगठन संघर्ष का सही संचालन कर सकें। सूरतगढ़ अम्बेडकर की सोच पर काम करने के लिए बहुत बड़ा और बहुत अच्छा क्षेत्र है जहां ईमानदार जोशीले युवकों को आगे लाना चाहिए।०0०






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