सोमवार, 6 जनवरी 2025

कैलाश भसीन जी ने मुझे "समर्पण को अर्पण" पुस्तक भेंट की.करणीदानसिंह राजपूत.

 


माननीय कैलाश भसीन जी ने आज "समर्पण को अर्पण" पुस्तक मुझे भेंट की जो  मेरा सम्मान है और अतुलनीय है। भसीन जी की नस नस में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ समाया है या ये संघ में समाये हैं के बारे में कह सकता हूं कि एकाकार हैं। मैं भसीन जी को सुनता तो एकटक देखता रहता कि एक एक शब्द सुनने वाले को अदृश्य डोरी से बांधते चलता है। समाचार पत्रों और सोशल मीडिया में भी पढता रहा। विचार किया कि श्रीगंगानगर जाकर निवास पर मिलूं। आज यह अवसर मिल ही गया।

भसीन जी के निवास का प्रवेश आंगन। एक तरफ ऊंचाई को दर्शाती पेड़ियां और तुलसी माता के समक्ष यह पुस्तक मुझे भेंट हुई। "समर्पण को अर्पण" को पढना है और फिर लिखना है एक महान व्यक्तित्व के कर्म पर जो अनेक संघर्षों से भरा एक इतिहास है। 

*6 जनवरी 2025.

करणीदानसिंह राजपूत,

पत्रकार,

सूरतगढ़ ( राजस्थान)

94143 81356

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