ठेकेदार के पैसे से मीडिया के घर फुलझड़ी:लघुकथा.
* करणीदानसिंह राजपूत *
मीडिया को दीपावली के बधाई और शुभकामना विज्ञापन देने के लिए ठेकेदारों से कलेक्शन करने की बातें फूट ही गई।
बड़ी रकम इकट्ठी होगी।
कलेक्शन की रकम अधिकारी को दी जाएगी या बताई जाएगी।
उसमें से आधी के लगभग मीडिया के कुछ लोगों को दी जाएगी जो विज्ञापन मांग रहे हैं।
बाकी में कलेक्शन करने वाला और अधिकारी बंदरबांट करेंगे। अधिकारी का सिस्टम कमीशन 4 से 5 प्रतिशत। सारे दफ्तर का 20-22 प्रतिशत। सभी जानते हैं। इस सिस्टम व्यवस्था को। अखबार भी सरकार भी। कोई पूछने वाला नहीं। पूछने वाले तो मांग रहे हैं।
अधिकारी फिर भी अपने कमीशन में से नहीं देता एक पैसा।
ठेकेदार भी होते तो उस्ताद हैं। डायरी रखते हैं। अब मोबाइल भी। कब किस अधिकारी का साफा चुनरी उतरवा दे।
* यह जरूरी नहीं है कि अखबार में विज्ञापन छापे। वह मीडिया प्रतिनिधि अपनी जेब में भी रख सकता है। बस,उसको रूपये देने हैं।
अधिकारी सिस्टम यानि कुर्सी से आए कमीशन में से एक पैसा नहीं देता। वह सरकारी कोष से देता है या फिर ठेकेदारों से कलेक्शन कराता है।
ठेकेदारों के करोड़ों रूपये का पेमेंट महीनों से पड़ा है। मांग के बावजूद पेमेंट नहीं हुआ। उन्हीं पर यह दीपावली का बोझ।
ठेकेदार अपने घर मिठाई फुलझड़ी लेकर जाए या पत्रकार के घर फुलझड़ी जलाए।०0०
28 अक्टूबर 2024.
करणीदानसिंह राजपूत,
पत्रकार,
(राजस्थान सरकार से अधिस्वीकृत)
सूरतगढ़ ( राजस्थान)