मंगलवार, 29 अक्तूबर 2024

सूरतगढ़ नगरपालिका: ईओ पूजा शर्मा का प्रशासन:हर दिन खतरों भरा होगा.

 

* करणीदानसिंह राजपूत *

सूरतगढ़ 29 अक्टूबर 2024.

नगरपालिका का अध्यक्ष पद खाली है और उस पर नियुक्ति की कोई क्षणिक आशा भी नहीं है और इसके लिए कोई प्रयत्न शील भी नहीं है। 

अधिशासी अधिकारी के अधिकार में होने वाले अनेक काम भी सुविधा जनक नहीं होते। नगरपालिका पर राजनीति अधिक होती है इसलिए आसान कामों के होने के बाद में उनमें समस्या डाल कर आफत बना दिए जाने के खेल होते हैं और वे सूरतगढ़ में भी होंगे। 

अभी कांग्रेस के ब्लॉक अध्यक्ष पार्षद परसराम भाटिया और पार्षद बसंत कुमार बोहरा सफाई बिजली मच्छर मरवाने की मांग को लेकर नाटक हुआ। एक दिन पहले ईओ को नोटिस दिया गया। दोनों भूखहड़ताल पर बैठे। दो घंटे ही बीते ईओ पूजा शर्मा ने आश्वासन देकर ज्यूस पिला दिया। असल में दो तीन दिन देखते सफाई होती हुई लगती तो भूख हड़ताल तोड़ देते। क्या अब दीपावली पर सफाई है। नालों में गंदगी निकाल दी गई है। कांग्रेस को यह नाटक खेलने की जरूरत क्या थी? ईओ को भी क्या जल्दी थी? ईओ के इतने जल्दी प्रभावित होने का आखिर क्या कारण था?भाजपाई इसका भी सूत्र खोज रहे हैं।परसराम भाटिया के पत्र पर नगरपालिका का गोपनीय रिकॉर्ड चुराने और ब्लास्ट की आवाज में छापने का आरोप था। उस पर जांच कमेटी बनाई, जांच करवाई लेकिन उसकी रिपोर्ट का रिजल्ट नहीं खोल रही। कुछ और काम भी किए जा चुके हैं जिनमें ईओ पूजा आफत में है। 

* पहले चैयरमैन का साथ था। अब सभी काम अकेले निर्णय पर होंगे। 

**चैयरमैन होता है तब हर काम की जिम्मेदारी और आरोप उन पर लगते हैं चाहे वे ईओ ने किये हों। जनता सीधे चैयरमैन पर आरोप लगाती है। 

👍 चैयरमैन नहीं है कुर्सी खाली है। ईओ पूजा शर्मा के सर पर हीरों जड़ा स्वर्ण मुकुट है लेकिन यह चमचमाता मुकुट कांटों भरा है। गलतियों पर  ये कांटे चुभेंगे। 

👍👍 ईओ सावधानी से हर कार्य करे। जिनकी सत्ता है उनसे पूछ कर या राय लेकर करे तो समझदारी होगी। अभी तक ऐसा होता रहा है। ओमप्रकाश कालवा और संदीप कासनिया की राय चलती रही है। कुछ निर्देश चलने की भी भनक है। 

"जे सुख चावै जीव रो तो सत्ता सागै रै" सत्ता के संग रहने से कोई भी कुछ भी बिगाड़ नहीं सकता। वह एक दो घंटे का नाटक कर सकता है।०0०







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