तेरीदुनिया से दूर.. वैचारिक कहानी:करणीदानसिंह राजपूत.
पत्नियों के डायरेक्शन, ताने, उलाहने, आरोप, मांगे,पति की अनदेखी जब कलह बन कर सभी स्तर पार हो जाते हैं।
👍 मगर वे फिर भी नहीं मानती। वे मानती हैं धर्म के कथा वाचकों की। पूजा पाठ कीर्तन जागरण। पति बस पति। बाकी उसकी कोई पूछ नहीं। उसकी कोई ईच्छा नहीं। उसकी कोई सलाह नहीं। उसकी रोटी तक की पूछ नहीं। कैसे भोजन की चाहत। वह कमाए पैसा लाए मगर उसकी हालत पशु से भी बदतर। माटी का ढेला।
*और एक एक दिन निकालता पति त्योहार या घर में ऐन खुशी के मौके होते हुए भी 'आत्महत्या'करने को मजबूर हो जाता है।
'तेरी दुनियां से दूर चले होकर मजबूर हमें याद रखना'।
( घटनाओं पर यह वैचारिक कहानी: 31 अक्टूबर 2024.)
करणीदानसिंह राजपूत,
पत्रकारिता 61 वर्ष.
( राजस्थान सरकार से अधिस्वीकृत)
सूरतगढ़ ( राजस्थान )
94143 81356
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