* करणीदानसिंह राजपूत *
सूरतगढ 31 अगस्त 2024.
सूरतगढ़ कांग्रेस के ब्लॉक अध्यक्ष परसराम भाटिया स्वयं आरोपों से घिरे हैं,वे कांग्रेसी पार्षदों से क्या जवाब तलब कर पाएंगे? कांग्रेस के पार्षद उनको जवाब क्यों देंगे? यह कौन सी नीति है कि पार्षदों को केवल दो दिन में जवाब देने के पत्र ब्लॉक अध्यक्ष ने जारी किये जिनकी अवधि 31 अगस्त को खत्म हो गई।
* सबसे बड़ी बात यह है कि जब ब्लॉक अध्यक्ष खुद भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरा हो, भ्रष्टाचार में पुलिस में मुकदमा तक हो चुका हो तो ऐसा पदाधिकारी दूसरे कांग्रेसी कार्यकर्ताओं से पार्षदों से क्या जवाब तलब करेगा? जो खुद कमजोर है जो अपने भ्रष्टाचारों का आरोपों का कोई भी उत्तर नहीं दे पा रहा है वह दूसरों से स्पष्टीकरण लेकर कार्यवाही करने में सक्षम कैसे हो सकता है?
👍 परसराम भाटिया कांग्रेस के लिए सबसे कमजोर ब्लॉक अध्यक्ष साबित हुए हैं। इनके ब्लॉक अध्यक्ष के अब तक के कार्यकाल में ऐसा कोई कार्य नहीं हुआ जिससे कांग्रेस ने अपनी स्थिति मजबूत की हो। इन पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों के कारण कांग्रेस की जग हंसाई तो जरूर हुई है लेकिन मजबूती नहीं हुई है।
* ब्लॉक अध्यक्ष के ऊपर भ्रष्टाचार के आरोप लगने से विधायक डूंगर राम गेदर भी जनता की नजरों में लगातार कमजोर हो रहे हैं। आगे नगर पालिका चुनाव है और उससे एक डेढ़ महीने पहले जो कांग्रेस अगला बोर्ड बनाने का दावा कर रही थी वह ब्लॉक अध्यक्ष की नीति के कारण, केवल एक नगर पालिका बोर्ड बैठक से ही हासिये पर चली गई। ब्लॉक अध्यक्ष का पार्षदों पर कोई नियंत्रण नहीं रहा। कोई समझाईस नहीं मानी गई। बल्कि सात कांग्रेसी पार्षदों ने भारतीय जनता पार्टी से संबंधित संदीप कासनिया ( स्कूल समिति के अध्यक्ष) के विवेकानंद पब्लिक स्कूल को पूर्व में दी हुई जमीन के समर्थन में मत दे दिया। कांग्रेस के 8 सदस्य अनुपस्थित रहे। कांग्रेस के पास में केवल 5 सदस्य रहे जिन्होंने प्रस्ताव का विरोध किया। 2 निर्दलीय ने प्रस्ताव का विरोध किया था।
भाटिया चाहे कुछ भी दावा करे कांग्रेस के 22 सदस्य जीते थे और आज उनके पास में केवल 5 सदस्य बचे हैं। इस से कांग्रेस को अपनी स्थिति का आकलन कर लेना चाहिए कि नगर पालिका चुनाव में क्या होने वाला है? पढ़े-लिखे ब्लॉक अध्यक्ष एक ही नगर पालिका बैठक में छोटे साबित हो गए। कुछ भी नहीं है उनके पास में लेकिन भ्रष्टाचार के आरोप तो हैं। परसराम भाटिया ने भाजपा के दो सदस्यों को नाम पुकार कर तीन तीन लाख रूपये देने का आरोप लगाया,लेकिन वे रूपये परसराम भाटिया कहां से लाए? इस प्रस्ताव पर भी भाटिया पर आरोप लगे हैं। विधायक डुंगरराम गेदर को हर बात का मालुम हो गया है।
*कांग्रेस पार्टी में अगर कोई समझदार है तो ऐसे ढोल को नहीं बजायेगी जिसकी अब आवाज निकल नहीं रही है और जो आवाज निकल रही है वह लोगों को कार्यकर्ताओं को पसंद नहीं आ रही। परसकताराम भाटिया केवल बैठक में नहीं आने वालों को नोटिस दे रहे हैं बैठक में प्रस्ताव के पक्ष में भाग लेने वालों को नोटिस दे रहे हैं।लेकिन उन पर भी बैठक में जो आरोप लगाए गए हैं उनका कोई जवाब अभी तक नहीं आया है।
👍 बहुत बड़ा भ्रष्टाचार का आरोप है कि परसराम भाटिया ने पालिका के पुराने पंप हाउस की जमीन का पट्टा बना दिया और उसमें लगभग 50 लख रुपए की जमीन मुफ्त में दे दी।इसका मुकदमा भी हो गया है। भाटिया जी ने इसके अलावा एक ब्लॉक शिक्षा अधिकारी नरेश रिणवा को उसकी पत्नी के नाम से पट्टा दे दिया। नरेश रिणवा ने अपनी स्थिति उसमें झूठी दर्ज करवाई वह तो दोषी है ही लेकिन उसे अच्छे तरीके से जानने वाले परसराम भाटिया ने वह पट्टा कैसे दे दिया? क्यों दे दिया? नगर पालिका को नुकसान क्यों पहुंचाया। यह जवाब उनको देना है। इसके अलावा एक अन्य अध्यापक को भी पट्टा दिया। सरकारी कर्मचारियों को पट्टा दिया नहीं जा सकता था। जानते बूझते ये पट्टे दिए।कुछ पार्षदों के रिश्तेदारों को भी पट्टे दिए गए। एक पट्टा नेता कहलाने वाले को उसकी पत्नी के नाम से दिया गया जो सूरतगढ़ सिटी में रहते नहीं हैं। उसकी पत्नी के नाम से तीन फर्जी वोटर लिस्ट स्कैन करके सबूत बना लगा दिए।
* नगर पालिका में भाटिया जी के अध्यक्षता काल में घोटाले पर घोटाले हुए हैं अभी एक के बाद एक घोटाले सामने आ रहे हैं। मीडिया में आ रहे हैं। अभी तक भाटिया जी ने किसी एक का भी उत्तर नहीं दिया है।
* भाटिया जी का उत्तर नहीं देना कांग्रेस पार्टी के ऊपर भार चढ़ रहा है। कांग्रेस पार्टी में समझदारी होगी तो शीघ्रता से कार्यवाही करेगी। कांग्रेस के हालात स्थानीय स्तर पर बहुत विकट हो चुके हैं। परसराम भाटिया भाषण ईमानदारी का देते रहें और खुद बेईमानी में आगे रहें तो यह बात जनता से छुपी हुई नहीं रह सकती। यही कारण है कि भाटिया के चिट्ठे खुल रहे हैं। *विधायक डूंगर राम गेदर के नजदीकी व्यक्तियों में सलाहकारों में परसराम भाटिया का नाम है और आज इस नाम के कारण डूंगर राम गेदर की स्थिति में छवि में कमी आ रही है। डूंगर राम गेदर को अपनी राजनैतिक स्थिति को मजबूत बनाए रखना है तो अपने नजदीकी घेरे में परिवर्तन करना होगा। परसराम भाटिया पर लगे हुए आरोपों का जवाब नहीं आना डूंगर राम गेदर की छवि को बुरी तरह से प्रभावित कर रहा है। पब्लिक में उठते बैठते एक ही चर्चा हर ओर हो रही है कि डुंगरराम गेदर की राजनैतिक छवि पर गर्द गिर रही है वे कब झड़काएंगे?०0०
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