शुक्रवार, 29 मार्च 2024

भाजपा में आने वाले कांग्रेसियों व अन्यों का न आकर्षकण न खास चर्चा.

 

* करणीदानसिंह राजपूत *

भाजपा में आने वाले कांग्रेसजनों व सहयोगियों,अन्य दलों,स्वतंत्र लोगों की पहले खूब चर्चा होती और वे कुछ दिन आकर्षण बने रहते। लेकिन लोकसभा चुनाव की घोषणा,आचार संहिता लगने के बाद भाजपा में आने वालों का आकर्षण खत्म हो गया। अब चर्चा भी एक दिन तक सिकुड़ गई। अब लोग कहने भी लगे हैं कि ये अपने स्वार्थों के कारण घुसे हैं। कोई जनसेवा के लिए तो भाजपा में आए नहीं।

* पहले भाजपा में आते हैं फिर पदों में कुछ नहीं मिलता।मंचों पर कुर्सी नहीं मिलती। कुर्सी मिलती है तो कहीं किनारे पर मिलती है या पीछे की दूसरी तीसरी पंक्ति में मिलती है। भाषण के लिए समय नहीं दिया जाता।अनेक बार मुख्य वक्ता नेता नाम बोलते वक्त नाम नहीं बोलता तब बड़ी हार्ट अटैक सी पीड़ा होती है। भीतर ही भीतर रोते हैं। अपने एक दो खास के आगे रोते हैं या जिसके मार्गदर्शन में भाजपा में घुसे उसके आगे रोते हैं।

* प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदीजी जब सब अकेले करते हैं अन्य मंत्रियों तक को शिलान्यास लोकार्पण नहीं करने देते तब भाजपा में घुसने वालों को सोचना चाहिए कि उनकी हैसियत भाजपा में घुसने के बाद क्या हो जाती है। 

*अनेक बड़े कांग्रेसी पदाधिकारी नेताओं के पास भाजपा में पद नहीं बल्कि उनके नाम ही लुप्त हो गये। लेकिन फिर भी भाजपा में घुस रहे हैं चाहे छापों या जेल के डर से। अपने ही हाथों से अपने चेहरे को लीप लेना इसे कहते हैं।

👍 वैसे भी यह मशहूर है कि कोई दो चार को ही सम्मान मिलता है बाकी को तो नयी पार्टी में सालों तक घसीटा ही जाता है। जो पुराने कार्यकर्ता हैं वे नये को सम्मान से देखते भी नहीं। पुरानों को लगता है कि उनका अधिकार छीनने आए हैं।

*पार्टी का पटका पहनाया जाता है वह फंदा लगने लगता है।०0०

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