भाजपा बागी राजेंद्र भादू की तेज गति से सभी चकित: पार्टी से निकालने से कोई असर नहीं.
* करणीदानसिंह राजपूत *
सूरतगढ़ में बागी भाजपा उम्मीदवार राजेंद्र भादू ने एक सप्ताह में बे लगाम घोड़े की तरह गांवों को चुनावी दौड़ से नापा है कि भाजपा और कांग्रेस सहित अन्य पार्टियों को चकित कर दिया है। सबसे आगे माने जा रहे कांग्रेसी घुड़सवार डुंगर राम गेदर के नजदीक जा पहुंचे हैं राजेंद्र भादू। लोग इस तेज गति का अध्ययन कर रहे हैं कि कांग्रेस के उम्मीदवार से एक पखवाड़े बाद संपर्क में लगे भादू का तरीका क्या है? भाजपा के रामप्रताप कासनिया भी संपर्क में पहले चल पड़े थे।
* राजेंद्र भादू का नारा " व्यवस्था परिवर्तन " के लिए चुनाव लड़ रहा हूं,सभी को जोशीला और न्यारा दमदार लगा और लोग अपनी पार्टियों को छोड़ कर भी साथ होने लगे। लोगों का मानना है कि भादू जल्दबाजी से नहीं निकल रहा। वह गांवों में चकों में पूरी योजना बना कर टूर कार्यक्रम तय करता है। एक वरिष्ठ नेता का कहना है कि भादू की इलाके में बहुत बारीक और चप्पे चप्पे में पकड़ है। चुनावों के अनुभवी के पास काम करने वालों की मजबूत टीम है।
* भादू की बोली में किसी प्रकार का ओछापन नहीं है। हर बोल गरिमामय होने से उसके भाषण में दम रहता है।
पिछले पांच सालों में किसानों मजदूरों व्यापारियों जवानों के साथ जो हुआ वह परेशानियों भरा काल रहा। भादू ने लोगों की इसी दुखती नस को छूआ और लोग उसके साथ हो लिए।
टिब्बा बेल्ट के गांवों में धमाके करता भादू जैतसर क्षेत्र में पहुंचा तो लोगों ने उसको सुनने में समय लगाया और हर जगह स्वागत किया।
* पूर्व विधायक राजेंद्र सिंह भादू को भाजपा उम्मीदवार के सामने चुनाव लड़ने के कारण भाजपा से निष्कासित कर दिया जाने के समाचार हैं। बागी होकर चुनाव लड़ने वालों के पास ऐसे नोटिस और आदेश देखने का ही समय नहीं होता इसलिए उनका पढना तो हो ही नहीं सकता।
* भादू कांग्रेसी उम्मीदवार के पास तक पहुंच रहा है ऐसे में भाजपा को असली उम्मीदवार रामप्रताप कासनिया की गति को बढाने में दिन रात एक करना चाहिए।
यहां अजीबोगरीब हालात गंगाजल मील के भाजपा को समर्थन देने के बाद हुए हैं। पूर्व विधायक गंगाजल मील से जनता बेहद नाराज है। लोग मानते हैं कि उस नाराज को साथ लेकर कासनिया ने बड़ी गलती कर डाली। लोग मील को सबक सिखाने को तैयार थे मगर हनुमान मील को कांग्रेस का टिकट नहीं मिला। कांग्रेस का टिकट डूंगर राम गेदर को दिए जाने से मील नाराज हो गये और डुंगर गेदर को हराने का निर्णय कर एकदम विपरीत रही पार्टी भाजपा के कासनिया को समर्थन दे दिया। इससे डुंगर गेदर का तो कुछ बिगड़ा नहीं समर्थन लेने वाले रामप्रताप कासनिया को लाभ नहीं मिल पाया। भाजपा को सीधा नुकसान पहुंचने लगा मगर कार्यकर्ता बेबस हैं। बेमन से लगे अधिकांश कार्यकर्ताओं के कारण भाजपा गति नहीं पकड़ रही। शहर के 45 वार्डों के खंड बना कर भाजपा
नेताओं और कार्यकर्ताओं की ड्यूटी लगाई जाए तो चुनाव परिणाम के बाद प्राप्त वोटों की संख्या से मालुम हो जाएगा कि कहां लगन से और कहां बेमन से काम हुआ। काम करना और मुंह दिखाना के हालात भाजपा को बेहद कमजोर किए हुए हैं। अनेक पुराने वरिष्ठ कार्यकर्ताओं तक को याद नहीं किया गया है।
* पक्की और बहुत अधिक वोटों से पक्की जीत होने का चढा चश्मा कांग्रेस को भी प्रभावित कर रहा है। कांग्रेस का चुनाव कार्यालय देखकर भी कोई सुधार नहीं किया जा रहा। कार्यालय में कोई व्यवस्था नहीं है। सभी नेता हैं।
15 नवंबर 2023.
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