सूरतगढ़ जिला बन जाता यदि राज्य मंत्री गेदर व विधायक कासनिया साथ देते.
* करणीदानसिंह राजपूत *
सूरतगढ़ को जिला बनाने की जनता की मांग में और संसाधनों में कोई कमी नहीं थी। डुंगरराम गेदर और रामप्रताप कासनिया का आवश्यक सहयोग नहीं मिलने की राजनीतिक शिथिलता से कांग्रेस की सरकार मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने मांग को ठोकर मारी।
👍आज डुंगरराम गेदर कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में और रामप्रताप कासनिया भाजपा उम्मीदवार के रूप में वोट मांग रहे हैं। विकास के नाम पर विकास कराने के नाम पर वोट मांग रहे हैं। सूरतगढ़ को जिला बनाना तो सबसे बड़ा विकास था जिसमें छोटे मोटे सैंकड़ों विकास होते लेकिन राज्यमंत्री और विधायक को तो न जनता का आंदोलन दिखाई पड़ा न नारे सुनाई पड़े न माग पत्र पढे। आमरण अनशन लगातार हुए धरने निरंतर चले मगर इनको यह मालुम नहीं था कि एक दिन सूरतगढ़ की जनता के आगे वोट के लिए हाथ फैलाने पड़ जाएंगे। जब जिला नहीं दिया तो अब जनता सोचना चाहेगी कि आप दोनों को वोट दे या न दे। जिला नहीं बनाये जाने पर आंदोलनकारियों के आंसू भी नहीं पोंछे, सात्वनां के दो शब्द तक नहीं कहे।
👍 अब लोगों को कठोर निर्णय सुनाना चाहिए या नहीं। जिला नहीं तो अब वोट भी नहीं। यह बोलना और बताना चाहिए ताकि उचित समय पर जनता के उचित निर्णय की पावर कि शक्ति का जनप्रतिनिधियों को मालुम पड़े।
* एक आवाज सुनाई पड़ती है कि पार्टी के साथ हैं। बहुत अच्छा जवाब है लेकिन जिले की मांग के समय पार्टी को भी क्या हो गया था? सूरतगढ़ से भी छोटे और बिना संसाधनों वाले स्थानों को जिला घोषित कर दिया गया लेकिन पदों का नशा ही रहा जिसके कारण जनशक्ति को नहीं समझा।
** संपूर्ण जनता की मांग का सहारा नहीं बनने वालों को आखिर वोट क्यों दिया जाए? पेय जल नहीं मिलना और गंदा दूषित मिलना, बिजली संकट भी बड़े मुद्दे हैं।
* सूरतगढ़ शहर गंदगी कचरे का ढेर गंदा पानी बुरी हालत सड़कें और नगरपालिका की भ्रष्टाचार भरी व्यवस्था को राज्यमंत्री और विधायक देखते रहे। इस देखते रहने पर वोट क्यों दिया जाए? पार्टी के नाम पर भी वोट क्यों दिया जाए?
15 नवंबर 2023.
*******