सोमवार, 23 अक्तूबर 2023

चुनावी युद्ध के बिना मील राज का अंत. सलाहकारों ने मिटा दिया सबकुछ.

 


* करणीदानसिंह राजपूत *

सूरतगढ़ से मील राज का अंत ऐसे हुआ मानों हार्टसीज हो गया हो। इस तरह से चुनावी युद्ध के बिना राज का अंत होगा ऐसा गंगाजल मील हनुमान मील ने सोचा भी नहीं होगा। वैसे तो यह शांति पूर्ण अंत चुनावी हार होने से अच्छा है। लोग बेहद नाराज और तीसरी बार हराने के लिए तैयार थे। आखिर जनता नाराज होती रही तो मालुम तो पड़ा ही होगा लेकिन नजदीकी सलाहकारों ने मील राज को मिटा दिया। मील राज को गलत रास्ते पर चलाया गलत कार्य करवाए जिससे छवि खराब होती रही। ऐसी घेराबंदी रही कि मील पांच छह अक्लमंदों को अपना हितकारी मानते रहे। अब वापस राज में लौटना असंभव है।

* करीब डेढ साल से चेतावनी भरे लेखों सलाहों से व्यवस्था सुधारने जनता को समझने का करणी प्रेस इंडिया में आता रहा। तीन चार महीनों से तो स्पष्ट लिखा गया कि कौन मील और कांंग्रेस की लुटिया डुबो रहे हैं। नगरपालिका का भ्रष्टाचार और गलत कार्य भी बड़ा कारण रहे हैं। कालवा को हटाया मगर कार्यवाहक अध्यक्ष परसराम भाटिया के राज में भी न भ्रष्टाचार हटा न जनता के काम हुए। शहर गंदगी और अंधेरे में डूबा है लेकिन इसकी परवाह नहीं की गई। पत्रों को रद्दी की टोकरी में डाला जाता रहा है। ईओ और कर्मचारी मनमानी करते रहे हैं। अब भय से सुधर जाएंगे या फिर परेशान होंगे। कालवा जहां है कल भाटिया भी वहीं होंगे।

मील राज का अंत हो गया जिसका दुख न भाटिया को होगा न सलाहकारों को होगा। ०0०

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