कालवा पर आती संकट की घड़ी. 13,14,15 खतरे की तारीखें हो सकती हैं.
* करणीदानसिंह राजपूत *
कांग्रेस छोड़कर भाजपा में सुरक्षा के लिए घुसे कालवा पर से खतरा टला नहीं है और सस्पेंशन की तलवार सीवरेज रिपोर्ट के जयपुर पहुचने के एक दो दिन में ही सिर पर गिर जाने की संभावना हो सकती है। आईएएस की रिपोर्ट मायने रखती है। जैसा मोहल्लों में लोगों ने बताया और शिकायत कर्ताओं ने बयान दिए हैं उनसे यह तो आभास होता ही है कि कागजात बयान मौके पर हुई पड़ताल आदि एक भी ओमप्रकाश कालवा के पक्ष में नहीं है।
प्रशिक्षु आईएएस को जांच सौंपी जाती है तो वे पड़ताल में देरी नहीं करते और रिपोर्ट तैयार कर पेश करने में भी तेजी से काम निपटाते हैं। प्रशिक्षु आईएएस जुईकर प्रतीक चन्द्रशेखर ने टीम के साथ 5 मार्च 2023 को रविवार के दिन जांच की। रविवार अवकाश का दिन होता है। यह रविवार ही तेज गति प्रमाणित कर रहा है कि होली अवकाश के तुरंत बाद जांच रिपोर्ट जिला कलेक्टर को डिस्कसन के साथ 8-9 मार्च को सौंप दी जाएगी।
जिला कलेक्टर के यहां से भी पत्र के साथ उसी दिन जयपुर को । स्वायतशासन निदेशालय में संभव है कि एक दो दिन लीगल एडवाइज ली जाए। कालवा से जवाब स्पष्टीकरण भी मांगा जा सकता है और इस प्रकार के मामलों में जरूरत भी नहीं समझी जाए। जांच की रिपोर्ट का हवाला देते हुए गहन जांच की जरूरत और इस दौरान जांच तक सस्पेंशन। इस दौरान कोई बोर्ड बैठक हो तो उसमें भाग लेने आदि की अनुमति। सीट पर अनुसूचित जाति आरक्षित के मध्यनजर इसी वर्ग का कोई पार्षद मनोनीत। ऐसी ही प्रक्रिया होती है।
* मार्च 13,14,15 खतरे के दिन जब लटकी तलवार गिरा दी जाए। तेज जांच से लगता है कि 15 मार्च तक सभी कार्यवाहियां पूर्ण हो जाए। इसके बाद सरकारी तंत्र के आदेश में कोई कमी रही हो या न भी रही हो तो चैलेंज और निवेदन अदालत में। कालवा के साथ यह होने की संभावना ही लगती है।
( इन तीन दिनों में कालवा को जवाब के लिए एक सप्ताह का नोटिस। फिर दूसरा नोटिस। जवाब नहीं देने पर तीसरा नोटिस और कार्यवाही। यह इसलिए की अदालत में कालवा को कोई राहत न मिल सके। सरकारी तंत्र कह सके कि कालवा को पर्याप्त समय दिया गया। कालवा सस्पेंशन को स्थगित नहीं करा सके।)
👍 अपने घर को छोड़ कर दूसरे के घर में सुरक्षा ढूंढना मूर्खता वाला निर्णय होता है और राजनीतिक व्यक्ति ऐसी गलतियां करते रहते हैं। कालवा ने अपने घर कांग्रेस में विनम्रता से समझौता करना था लेकिन वहां मील से कबड्डी खेलनी शुरू कर दी और भाजपा में सुरक्षित गोद मानी। कांग्रेस में गंगाजल मील के बाद नंबर रहता था लेकिन भाजपा में विधायक कासनिया के बाद नंबर नहीं है। भाजपा की व्यवस्था के अनुसार नगरमंडल अध्यक्ष के बाद कालवा का नंबर। भाजपा में अपनी मर्जी भी नहीं चलती।
* कालवा पर जिस तरह से शिकायतों और धरना प्रदर्शन की आफतें आई हैं और खत्म नहीं हो रही हैं, ऐसा पहले किसी नगरपालिका अध्यक्ष के साथ नहीं हुआ। भाजपा के कार्यकर्ता और नेता चुनावी वर्ष में कितने साथ रहेंगे,कितने अपनी टिकट मांग और आगे चुनाव मान पल्ला छोड़ देंगे। इसे कालचक्र के अनुसार ही सभी देखेंगे।०0०
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( राजनीति में लापरवाही के निर्णय और मूर्ख सलाहकार शिखर से नीचे धरती पर गिरा देते हैं. इसलिए कहा जाता है कि निर्णय सोच समझ कर करना ही श्रेष्ठ होता है।)०0०
दि. 6 मार्च 2023
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