शनिवार, 9 जुलाई 2022

* सड़क का चीत्कार!* ० करणीदानसिंह राजपूत. ०

 





सड़क

पक्का रास्ता

जहां चलना आसान

बेधड़क चलें

समतल।


कच्चे रास्ते

गरीबों की बस्तियां

काम पर जाते

थके लौट कर आते

नहीं देख पाते

धरती की रेत कंकड़


कच्चे को पक्का

बनवाते हैं

बार बार पत्र

और उपस्थित हो

लगता है एकबार

शानदार।


सड़क पक्की 

खोदी जाती

कितनी बार

बन जाती है

उबड़खाबड़

सिसकती है

रोती है दिन रात।


वाहन चलते

धड़ाधड़ और

सड़क के 

बदन पर 

लगते धचके

ठोकरें

और ऊपर से

गाली भी।


सुन्न मृत सा

प्रशासन या

सुक्षित लोग

सड़क किसे

सुनाए अपना

चीत्कार।

जनप्रतिनिधि

बहरे हैं

अंधे हैं।

******

दि.9 जुलाई 2022.


👍 आपके क्षेत्र की सड़कें टूटी हैं तो जनप्रतिनिधि को यह कविता जरूर पढाएं।

शेयर करें उनको।


👍 आप युवा हैं। शिक्षित हैं। अपने इलाके की फोटो खींचकर अपने जनप्रतिनिधि को भेजें।

छोटा सा काम है।

* बहरे अंधे लिखने की हिम्मत हो तो वह भी करें। *


👌

करणीदानसिंह राजपूत,

पत्रकार,

( राजस्थान सरकार के सूचना एवं जनसंपर्क निदेशालय से अधिस्वीकृत)

सूरतगढ़। ( राजस्थान) सड़क का चीत्कार!* 

० करणीदानसिंह राजपूत. ०


सड़क

पक्का रास्ता

जहां चलना आसान

बेधड़क चलें

समतल।


कच्चे रास्ते

गरीबों की बस्तियां

काम पर जाते

थके लौट कर आते

नहीं देख पाते

धरती की रेत कंकड़


कच्चे को पक्का

बनवाते हैं

बार बार पत्र

और उपस्थित हो

लगता है एकबार

शानदार।


सड़क पक्की 

खोदी जाती

कितनी बार

बन जाती है

उबड़खाबड़

सिसकती है

रोती है दिन रात।


वाहन चलते

धड़ाधड़ और

सड़क के 

बदन पर 

लगते धचके

ठोकरें

और ऊपर से

गाली भी।


सुन्न मृत सा

प्रशासन या

सुक्षित लोग

सड़क किसे

सुनाए अपना

चीत्कार।

जनप्रतिनिधि

बहरे हैं

अंधे हैं।

******

दि.9 जुलाई 2022.


👍 आपके क्षेत्र की सड़कें टूटी हैं तो जनप्रतिनिधि को यह कविता जरूर पढाएं।

शेयर करें उनको।


👍 आप युवा हैं। शिक्षित हैं। अपने इलाके की फोटो खींचकर अपने जनप्रतिनिधि को भेजें।

छोटा सा काम है।

* बहरे अंधे लिखने की हिम्मत हो तो वह भी करें। *


👌

करणीदानसिंह राजपूत,

पत्रकार,

( राजस्थान सरकार के सूचना एवं जनसंपर्क निदेशालय से अधिस्वीकृत)

सूरतगढ़। ( राजस्थान)

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