मंगलवार, 12 जुलाई 2022

पालिका दफ्तर में काम करते सफाई कर्मचारी मिले तो कौन कौन जिम्मेदार?



* करणीदानसिंह राजपूत *

सूरतगढ़ 12 जुलाई 2022.

राजस्थान सरकार स्थानीय निकाय निदेशालय का सख्त आदेश है कि सफाई कर्मचारियों की अपने  कार्य पर उपस्थिति देना अनिवार्य है,वहां हाजिरी होने पर ही वेतन मिलेगा। 

सूरतगढ़ में सरकार के आदेश के विपरीत कार्य हो रहा है। अनेक सफाईकर्मी फील्ड के बजाय दफ्तर में पत्रावलियों और कम्प्यूटर पर काम पर लगाए हुए हैं। 

यदि शिकायत पर अधिकारिक निरीक्षण या भ्रष्टाचार निरोधक ब्युरो का छापा पड़ा तो कार्यवाही की पहली लपेट में सफाई कर्मचारी ही आएंगे। यह स्पष्ट रूप से सरकार से धोखा किया जा रहा है और निर्धारित कार्य नहीं किया जा रहा। नौकरी जिस पद के लिए है तब इन कर्मचारियों को किसने फील्ड के बजाय दफ्तर में मंत्रालयिक कर्मचारियों के कार्य पर लगाया। इन कर्मचारियों की गलती से कोई कार्य गलत हो जाता है, रिकॉर्ड में रजिस्टर में गलत तथ्य रकम आदि इंद्राज हो जाता है,या कर्मचारी जानबूझकर गलत कार्य कर देता है,कोई पत्रावली नष्ट हो जाती है, गुम हो जाती है तो कौन जिम्मेदार होगा? इसमें कर्मचारी का वेतन नौकरी भी खतरे में पड़ सकती है और जा भी सकती है। सफाईकर्मियों को दफ्तरी कार्य का ज्ञान नहीं और न कोई ट्रेनिंग होती है। एकदम स्पष्ट है कि दफ्तरों में काम नहीं लिया जा सकता। जब कोई अपने निर्धारित कार्य और कार्य स्थल पर नहीं है तो मतलब वह ड्युटी पर नहीं है। एक बार निरीक्षण में फंसे तो कार्यवाही निश्चित ही है। आजकल नौकरी मिलना मुश्किल है और कोई अधिकारी अन्यत्र ड्युटी लगाता है तो उचंती नहीं लिखित आदेश लेना समझदारी होगी। आदेश फील्ड का और कार्य नगरपालिका में तो सफाईकर्मी भी पूर्ण जिम्मेदार होगा। 

अध्यक्ष ईओ पर कार्यवाही होगी या नहीं होगी?

* यदि अध्यक्ष ने आदेश दिया होगा तो वह भी जिम्मेदार होगा। यदि प्रशासनिक अधिकारी ने नोट बनाया और ईओ ने अध्यक्ष से आदेश लिए तो ये सभी जिम्मेदार होंगे। कर्मचारी तो सभी में ही दोषी होगा। 

अधिशाषी अधिकारी के समक्ष शिकायत हो जाने पर तो तत्काल या आगामी दिन से ही कर्मचारियों को दफ्तर से हटा कर फील्ड में निर्धारित स्थल पर भेज देने से कानूनी दायरे में जांच में आने से बचाव संभव है। आजकल एसीबी की टीम और उच्चाधिकारियों का निरीक्षण छापा पड़ने में एक आध घंटा ही लगता है और फिर जांच के घेरे में से निकलना कठिन होता है।

* शिकायत का मतलब अधिशाषी अधिकारी और प्रशासनिक अधिकारी आदि सीधे जिम्मेदार। 

सूरतगढ़ में पांच पार्षदों हरीश दाधीच, राजीव चौहान, संदीप सैनी, मुमताज अली और फारूख मोहम्मद ने 12 जुलाई 2022 को अलग अलग शिकायतें अधिशाषी अधिकारी विजय प्रताप सिंह को दी और उसकी फोटो भी हुई। शिकायत में सफाई कर्मचारियों का दफ्तर में काम करना लिखा है और फील्ड में भेजने की मांग है। अतिक्रमण हटाने की भी मांग है। अतिक्रमण में अध्यक्ष और ईओ की शह का आरोप है। आरोप आपने अपनी ड्युटी नहीं की और वेतन उठाया, वेतन दिया, सरकार के कोष को हानि पहुंचाई। ( अध्यक्ष ओमप्रकाश कालवा हैं और ईओ विजयप्रताप सिंह हैं)। यदि दबाव से यह समझौता हो जाता है तो भी शिकायत के बिंदुओं पर अधिशासी अधिकारी की जिम्मेदारी हर वक्त रहेगी वह खत्म नहीं होगी। 

* यह ऐसी शिकायत है जिसमें ईओ,दफ्तर में काम करने वाले सफाई कर्मचारी और प्रशासनिक अधिकारी की जिम्मेदारी तुरंत ही लागू हो चुकी है। ऐसी शिकायत को साधारण मामूली मानने की भूल करना या यह सोचना कि एक दो दिन में निपटाने की सोचना बहुत बड़ी गलती साबित हो सकती है यदि उस पर अचानक तुरंत शुरू हो जाए।०0०

करणीदानसिंह राजपूत,

पत्रकार,

( राजस्थान सरकार के सूचना एवं जनसंपर्क निदेशालय से अधिस्वीकृत)

सूरतगढ़.

94143 81356

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