बुधवार, 27 अप्रैल 2022

० लघु कथा के अंत का इंतजार।० कहानी..करणीदानसिंह राजपूत

 


ठेकेदारों से 70 हजार रूपये एकत्रित करने हैं और अखबार वाले को देने हैं। 

एक बाबू को यह काम करना है। यह गुप्त थी तो आउट कैसे हुई?

शिकायती लहजे में कैसे आई। 

आजकल तो मोबाइल ही दुशमन बन जाता है। फोटो रिकार्ड और बोलो तो वह भी रिकॉर्ड। 

अखबार वाले लेंगे और फंसे तो फोटो समेत न्यूज और विडियो तक चला देते हैं।


बात तो डेढ लाख से ऊपर की है। आधे सरकारी खजाने से चेयरसाहब एड. देंगे और बाकी ठेकेदार। तो यह ठेकेदार से फैली। मोबाइल से फैली। लेते ही फंसेगा कौन? 

कौन बुला रहा है आफत। एसीबी तो एक को नहीं धरती। पूरी लड़ी को हवालात दिखाती है।

कलक्टर तहसीलदार दलाल को पल भर में यतीम जैसा बना दिया।किसकी क्या औकात।

आजकल पता भी नहीं चलता न जाने किस भेष में हाथ मिला लें।

*चलो देखते हैं। इस लघु कथा का अंत भी क्या होता है?

दि. 27 अप्रैल 2022.

ले- करणीदानसिंह राजपूत.

सूरतगढ़।

94143 81356.

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