शुक्रवार, 17 दिसंबर 2021

सूरतगढ़ शहर जैसी ना हो गांव की टाइमपास सरकार पंचायत समिति

 



* करणीदानसिंह राजपूत *
सूरतगढ़ में अतिरिक्त जिला कलेक्टर का पद एक साल से भी अधिक समय से खाली है। गंगानगर से सप्ताह में एक दिन एडीएम आते हैं। अनेक कामों के लिए यह पद बनाया गया तो फिर यह खाली क्यों रखा जा रहा है? यहां कांग्रेस सरकार के नुमाइंदे कौन हैं? यहां ब्लॉक कांग्रेस है। शहर और राजियासर ब्लॉक कांग्रेस है। इनसे ऊपर मील साहब हैं। कभी ध्यान में नहीं आया कि यह महत्वपूर्ण पद साल भर से खाली पड़ा है। लोगों को हथियार लायसेंस नवीनीकरण और अनेक कामों के लिए गंगानगर जाना पड़ता है या इंतजार करना।
इतना बड़ा अधिकारी पद खाली और नुमाइंदे लापरवाही में टाइमपास करते हुए। कभी मांग नहीं की। कलेक्टर से,प्रभारी मंत्री से,सीएम से बात ही नहीं। लोग जिले की आशा करते हैं और यहां यह पद शून्य बनाया जा रहा है।
पंचायत समिति में ऐसे नुमाइंदे होने चाहिए तो बैठाओ गद्दी पर।
सूरतगढ़ में साल में कभी रेलवे मेनगेट पर गए हों तो सुभाष चौक देखा होगा। नेताजी की प्रतिमा वहां पर है। लोगों को ठोकरें लगती है। लोगों को शर्म आती है। मगर नुमाइंदों को शर्म नहीं आती। न ई नहीं बना सकते तो गड्ढे तो भर ही सकते हैं। अब नहीं करना तो नहीं करना। अगर ऐसे व्यवहार कुशल को बिठाना है तो चुनें । इस पर भी कोई नहीं बोला। मील सा,चेयरमैन सा,ब्लॉक अध्यक्ष सा। साहबों की भरमार है। नगरपालिका में सरकार का बनाया नियम ही नहीं चलता। सफाई में कमी रहती है और सफाई कर्मचारियों को काम नहीं सौंपा जाता। जहां पद कार्य वहीं लगे हाजिरी। ऐसे नुमाइंदे चाहिए तो आगे क्या होगा हाल? कभी गढ के पास देखें तालाब को कौन बुरवा रहा है। वह भी गंदे मलबे से। आसपास मंदिर क्षेत्र और नुमाइंदों की आंखें बंद। तालाब में गंदा पानी। केशव पार्क में भी गंदा पानी। यह सब कर रही है शहर की सरकार। सीवरेज की कहानी या कहानियां तो बाकी ही रह जाएगी। अंडर पास बुरा हाल।
शहर की सरकार की आंखें बंद। यहां के नुमाइंदों के कहने से ही अपीलों से बस इस तरह की ही होगी सरकार जो काम करे या न करे मगर आंखें बंद तो रख ही लेगी। और आशोक जी गहलोत को तो टैम ही नहीं। एक दिन दो दिन की नहीं पांच साल की सरकार यानि पंचायत समिति चुननी है। इतना तो जानते ही हैं।
गांव वाले स्याणे होते हैं और स्याणे वाला काम ही करेंगे।
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राजस्थान सरकार मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की कांग्रेस सरकार के नामलेवा और नुमाइंदों ने सूरतगढ़ शहर में जो शानदार काम किया है। उसके हालचाल लोगों को रोजाना दिखते हैं या सुनते हैं। कभी कभी लोगों की आवाज को समाचार जगत में भी स्थान मिल जाता है।

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