नेतागिरी करने वाले रोटी वालों ने
रोजाना राशन लाने वाले
मजदूर वर्ग मध्यम वर्ग के
राशन खरीद पाने पर
बाजार बंद से
रोक लगाने का
निर्णय करके
अपनी पीठ थपथपा ली।
पीठ थपथपाने वालों की
राशन की दुकानें
सबके घर में राशन।
दुकानें बंद करने पर भी
उनको कोई परेशानी नहीं।
परेशानी तो उनके हो गई
जिनके पास
राशन की दुकान नहीं।
अब वे राशन कहां से लाएं?
जिनके घर न राशन है
और न खुद की
राशन की दुकान है।
बिना वस्तुओं के तो
दिन भी काटे जा सकते हैं
लोगों ने पहले दिन ही नहीं
कई महीने भी काटे हैं।
लेकिन रोटी तो
सुबह शाम चाहिए।
घर में राशन नहीं
तब कैसे बने रोटी
और कैसे दिन कटे?
सरकार का निर्णय था
हफ्ते में पांच दिन
राशन दुकानें खुली रहें
लोगों को राशन
मिलने में दिक्कत न हो।
नेताओं ने अपने
नाम का अच्छा संदेश
चर्चा में लाने
मीडिया में छाने को
राशन की दुकानें
गली मोहल्ले की भी
बंद करवा दी।
किरयाना दुकानदार
कसमसाते रहे
दबा दबा विरोध
करते रहे
मगर हिम्मत नहीं
दिखा पाए
क्योंकि उनके नेता
ही खोटे निकले
जो आगे बढ कर
हां हां करते रहे।
यह समय तो कट जाएगा
मगर निर्णय तो
अपने खोटे नेताओं से भी
मुक्ति लेने का करना होगा।
नेतागिरी करने वाले
रोटी वालों ने कभी
लोगों से नहीं पूछा
जानकारी नहीं ली
राशन के बिना
कैसे कटेंगे दिन।
यह संकटकाल
बीत जाएगा
मगर याद रहेगा
इसका पल हर पल
किस किसने रोटी पर
रोक लगा अपनी
चर्चाए आम की थी।
नेतागिरी करने वाले
रोटी वालों ने
अपने नाम
के लिए
राशन बंद से
अच्छा नहीं किया।
अब पूछो
किसके घर नहीं राशन।
जानकारी लोऔर
उन घरों में
पहुंचाओ राशन
इससे कमाओ नाम
जो पक्का होगा।
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दि. 5 मई 2021.
करणीदानसिंह राजपूत,
स्वतंत्र पत्रकार ( राजस्थान सरकार के सूचना एवं जनसंपर्क निदेशालय से अधिस्वीकृत)
सूरतगढ़।
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