कांग्रेस को क्यों छोड़ा- घनश्याम तिवाड़ी ने भाजपा में पुनः प्रवेश पर क्या कहा?
* करणीदानसिंह राजपूत *
भाजपा में आज 12 दिसंबर 2020 को फिर घनश्याम तिवाड़ी की घर वापसी हो गई है।
भाजपा में शामिल होने के मौके पर मीडिया से बातचीत में तिवाड़ी ने जो कहा वह बहुत ही महत्वपूर्ण है।
कांग्रेस में उनका प्रवेश समारोह के रूप में लोकसभा चुनाव से पहले 30 अप्रैल 2019 को हुआ। अशोक गहलोत मंच पर बराबर बैठे थे। अशोक गहलोत इतने घनिष्ट लग रहे थे फिर भी घनश्याम तिवाड़ी का दिल कांग्रेस में नहीं रमा। वे कांग्रेस में शामिल हुए तब बहुत सोचा ही होगा लेकिन कांग्रेस इस बड़े नेता को संभाल नहीं पाई और राजनैतिक कद के अनुसार सम्मान भी नहीं दे पाई। यह मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की बहुत बड़ी कमी रही जिसे असल में बड़ी गलती कह सकते हैं।
घनश्याम तिवाड़ी ने भाजपा में पुनः प्रवेश के बाद जो कहा वह कांग्रेस के संगठन और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को समीक्षा करके स्वीकार करना होगा। कोई भी बड़ा नेता अपनी पार्टी को छोड़कर कांग्रेस में साधु संत बनने को तो आया नहीं। इसलिए भी नहीं आया कि उसे कोने में बिठा कर कभी पूछो भी नहीं।
तिवाड़ी के एक एक शब्द पर ध्यान दें तो लगता है कि उन्होंने कांग्रेस की पिटाई की है।
तिवाड़ी जो बोले।
" मैंने कभी भी कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता ग्रहण ही नहीं की। मेरे मन में हमेशा से भाजपा ही रही है। मैं शुरू से ही संघ से जुड़ा रहा हूं।'
तिवाड़ी ने यह भी कहा कि उनका चुनाव लड़ने का अभी कोई इरादा नहीं है। वह पार्टी के लिए काम करना चाहते हैं।
वसुंधरा के विरोध से जुड़े एक सवाल पर उन्होंने कहा कि उस समय जो भी मुद्दे थे वह सभी हल हो चुके हैं।
घनश्याम तिवाड़ी राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के विरोधी माने जाते थे।
पिछ्ली भाजपा सरकार के दौरान तिवाड़ी को वो मान-सम्मान नहीं मिला जो भैरों सिंह शेखावत या अन्य सरकारों के समय में मिला। भाजपा संगठन में भी घनश्याम तिवाड़ी को विशेष स्थान नहीं मिला था.
इस तरह से अपनी उपेक्षा के कारण वे पार्टी से दूर होते गए। सरकार के साथ ही पार्टी के कार्यक्रमों से उन्होंने दूरी बना ली थी। वह दूरी इतनी बढ़ गई कि तिवाड़ी भाजपा से ही अलग हो गए।
सतीश पूनियां ने कराई वापसी
भारतीय जनता पार्टी में वापसी को लेकर तिवारी ने एक पत्र लिखा। भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया ने भाजपा उच्च कमान से बात की और राष्ट्रीय नेतृत्व से राय करने के बाद उन्हें पार्टी में वापस लाया गया।
घनश्याम तिवाड़ी की भाजपा में वापसी के राजनीतिक मायने जो भी लगाए जाएं लेकिन असल में कुछ समय बाद ही मालूम पड़ेगा कि किस पर कितना असर हुआ।
* घनश्याम तिवाड़ी की राजनीतिक यात्रा *
तिवाड़ी भाजपा के दिग्गज नेताओं में रहे हैं। पार्टी में कई अहम पदों पर उन्होंने काम किया है। तिवाड़ी 6 बार चुनाव जीतकर राजस्थान विधानसभा के सदस्य रहे हैं। तिवाड़ी 1980 में पहली बार सीकर से विधायक बने। इसके बाद 1985 से 1989 तक सीकर से विधायक रहे।
साल 1993 से 1998 तक विधानसभा क्षेत्र चौमूं से विधायक बने। जुलाई 1998 से नवंबर 1998 तक भैरोंसिंह शेखावत सरकार में ऊर्जा मंत्री भी रह चुके हैं। दिसम्बर 2003 से 2007 तक वसुंधरा राजे सरकार में शिक्षा मंत्री की जिम्मेदारी संभाली।00