ओमजी रो एक साल पूरो होयो!!!
नगरपालिका में अध्यक्षीय कार्यकाल के शुरू के एक साल के कार्यकाल में उन्होंने खुद को मास्टर फेमस तो कर ही लिया।
ओमप्रकाश कालवा चेयरमेन साहब नहीं बने। कालवा जी भी आधे अधूरे से ही रहे। मास्टर कहलवाने के लिए निविदाओं में अपने नाम के शुरू में मास्टर लिखवाया।
मास्टर जी की एक साल की चेयरमैनी पूरी हुई।
और खुसर पुसर भी शुरू हुई। चेयरमैनी पलटण की चुपचाप कुरसी रे पागे नेड़े सेंध। मिट्टी खुदाई तो कही नहीं जा सकती। फर्श खुदाई। फर्श मिट्टी से तो मजबूत होता है लेकिन निर्माण तो नगरपालिका का ही करवाया हुआ है। भरोसा किया भी जा सकता है और भूचाल हो तो कोई बीमा नहीं कोई गारंटी नहीं।
वैसे मास्टरजी संबोधन को तो कोई छीन नहीं सकता। कम से कम इतना तो एक साल में किया ही है कि मास्टरजी का निर्माण मसाला पूरी सीमेंट पूरी बजरी और पूरी तराई से हुआ।
चेयरमैनी को उखाड़ने का प्रयास गुपचुप। अरे भाई ! उखाड़ लोगे क्या? जे इतना जोर बन जावे तो फिर नगरपालिका का निर्माण है। सड़क बनते ही उखड़ भी तो जावे। पण मास्टरजी तो कोई भी नहीं उखाड़ सके। आ पकायत है।
ओ गेम। कुण खेलण री तैयारी में है? कांग्रेस को बोर्ड है अर भाजपा नाम सूं तो दूर ही खड़ी है। आपरे माथे ठीकरो क्यूं फोड़े? कीं पकायत बणसी तो सारो गुपचुप है। ढोल बजावण की जरूरत भी नहीं। अभी भी ढोल नहीं बाज रहे। सब गुपचुप पण ढोल नगाड़े की दुकान पर एक जणै कानां में फुसफुसा दी। चालो! क्लियर होई। चेयरमैनी रा पागा हिलावण रो काम सरू है।
पार्षद ही जोड़ बिठाण में है। तीन चौथाई एकजुट होवे जणा पार पड़े। अभी खुसर फुसर शुरू हुई है। पार्षद प्रीति भोज में चुपचाप जुट भी जावे पण कोरोना रो डर भी लागै। भोज रो आनंद मिले ना मिले अर कोरोना गले लाग जावे। जे कीं नीं होवै तो बदनामी। पण खुसर फुसर हो रही है। आ पकायत है।
मास्टरजी ने भी चेयरमैनी रो मोह कोनी पण जनता री सेवा करण रो चाव है जिकै सूं राजनीति में आ गया अर जयपुर रे आर्डर सूं चेयरमैन थरपीज्या। सूरतगढ़ आला नै आर्डर मानणो पड्यो।
बाकी तो कहावत है के मन री काढ लेणी चाहिजै।अर,आपणै रोक्यां सूं कुण रुकै है। चलो! एक साल पूरो होयो। ढब्बू उडावो चाहे ढब्बू फोड़ो। 00
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