पार्थ सारथी का यों जाना! शब्द ही नहीं है! * करणी दान सिंह राजपूत *
सूरतगढ़ के अंदर राजनैतिक सामाजिक चेतना जगाने के लिए प्रतिदिन कुछ न कुछ करके हलचल मचाने वाले संघर्षशील व्यक्तित्व पीतांबर दत्त शर्मा के युवा पुत्र पार्थ सारथी शर्मा का संसार से यूं अचानक चले जाना बेहद दुखी करने वाला है।
पीतांबर दत्त का संघर्षशील जीवन एक नए प्रकार के संघर्ष में ईश्वर ने डाल दिया है। ईश्वर के नीति नियम कब किस पर क्या चक्र चला दे कोई सोच नहीं सकता।
पितांबर दत्त को कैसे समझाएं कि पार्थ का यह गमन न जाने आगे कैसा भविष्य रचने वाला है? खुद पार्थ सारथी समाज सेवा में पिता के कदमों पर ही चल रहा था।
रक्तदान करके दूसरे के जीवन को बचाने में महत्वपूर्ण सोच के तहत वह रक्तदानी था। रक्तदान करते पार्थ सारथी का फोटो मेरे सामने है। ईश्वर ने ऐसे व्यक्तित्व को अपने पास बुला लिया।
पीतांबर दत्त शर्मा को किन शब्दों में आश्वासन दें भरोसा दिलाएं सांत्वना दें।
ईश्वर ने यह नया संघर्ष शुरू किया है।
मेरे पास आज शब्द नहीं हैं।
' पार्थ का यों जाना'
परमब्रह्म पार्थ को मोक्ष प्रदान करें।