रामराज की सोच से ही
दूर होगा अमावस्या जैसा अंधकार।
अंधकार में देव जैसे लोग पीड़ित
और पीड़ित हैं देवी जैसी नारियां।
युवा वर्ग भटकता घूम रहा
छाया है चारों और भ्रष्टाचार।
आपाधापी और
भाई भतीजावाद का
अंधियारा
देश की उन्नति और विकास की
राह से कोई सरोकार नहीं।
एकदूजे को पछाड़ने में लगे
सभी को है कुर्सी प्यारी
उसके धोखे में जी रहे हैं।
दीप जलाने की आड़ में भी
काले ही काले कर्म
करते जा रहे।
दूसरों को नीचा दिखलाते
सब हड़प करते जा रहे।
राम का सा कार्य नहीं
रावण का अभिनय
सुखद लगता है।
वे ऐसी विचारधारा को
पनपाने लगे हैं।
ऐसे दुष्कर्मों से समाज और
राष्ट्र को हो रही हानि।
घरों में भी राम जैसे विचार की
बातें रुक गई।
कहते हैं कलयुग,
घोर कलयुग खत्म
हो रहा है।
सतयुग आ रहा है
यह कब कैसे आएगा
रामराज की सोच से
यह परिवर्तन छाएगा।
दूर होगा घनघोर अंधकार
मुक्त होंगे पीड़ित प्राणी
बढे़गा प्रेम चारों ओर
मिटेगी आपाधापी।
समाज चहकेगा
राष्ट्र महकेगा
राम की सोच से
मिटेगा अंधियारा।
आओ,
घर घर,डगर डगर
राम की सोच कायम करें।
रामराज से ही होगा कायापलट।
आओ,
देश और दुनिया का
निर्माण करें।
आओ, दूर करें अंधियारा
राम राज के
सूर्योदय को
नमन करें।
राम राज के
सूर्योदय को
नमन करें।
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