- करणीदानसिंह राजपूत -
मेरी कविता से तोता मैना प्यार करें
मेरी कविता से चिड़ा चिड़ी इतराएं
मेरी कविता से पेड़ पौधे झूमने लगें
मेरी कविता से परिवारों में मिलन हो।
तो मैं समझ लूं कि कविता पूर्ण है
मेरे शब्द दिलों में हलचल मचाएं
दो दिल आपस में मिलन की सोचें
तो समझलूं की कविता में प्यार है।
पुराने जमाने में राग से दीया जलता
वे गीत भी होते जिनसे मेघ बरसते
हो सकता है उतनी पहूंच के करीब हो
मेरी कविता को तुम सब गुनगुनाओ।
मालूम करो कि कहां प्रेम मिलन है
मालूम हो कि कहां चिड़ाचिड़ी मेल है
कविता के शब्दों से मौसम मुस्कुराए
धीमी बहती हवा सुगंध फैलाने लगे।
मेरी कविता के छोटे छोटे शब्द वाक्य
जब सीमा पर सैनिकों में जोश भरे।
मेरी कविता सुन सीमा पर खेत पुकारे
अब हम हथियार गोलेबारूद उगाएंगे।
सीमा के खेत हैं हम पूरे देश भक्त हैं।
तो मैं समझलूं कि मेरी कविता पूर्ण है
मैं समझलूं कि मेरी कविता जगाती है
मैं जयघोष करूं मां भारती जय हो।
मैं जय बोलूं वीर जवानों का जो
सीमा पर डटे हैं दुश्मन का वध करने
मैं समझलूं कि मेरी कविता पूर्ण है
मैं समझलूं कि मेरे शब्द परिपूर्ण है।
आप सभी कहो जय हो मां भारती
मैं आपके जयघोष पर इतराऊं
मै समझलूं कि मेरा कविता पूर्ण है
मेरी कविता में बस यही है कामना।
****
दि. 17 जुलाई 2020.
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- करणीदानसिंह राजपूत -
मेरी कविता से चिड़ा चिड़ी इतराएं
मेरी कविता से पेड़ पौधे झूमने लगें
मेरी कविता से परिवारों में मिलन हो।
मेरे शब्द दिलों में हलचल मचाएं
दो दिल आपस में मिलन की सोचें
तो समझलूं की कविता में प्यार है।
वे गीत भी होते जिनसे मेघ बरसते
हो सकता है उतनी पहूंच के करीब हो
मेरी कविता को तुम सब गुनगुनाओ।
मालूम हो कि कहां चिड़ाचिड़ी मेल है
कविता के शब्दों से मौसम मुस्कुराए
धीमी बहती हवा सुगंध फैलाने लगे।
जब सीमा पर सैनिकों में जोश भरे।
मेरी कविता सुन सीमा पर खेत पुकारे
अब हम हथियार गोलेबारूद उगाएंगे।
तो मैं समझलूं कि मेरी कविता पूर्ण है
मैं समझलूं कि मेरी कविता जगाती है
मैं जयघोष करूं मां भारती जय हो।
सीमा पर डटे हैं दुश्मन का वध करने
मैं समझलूं कि मेरी कविता पूर्ण है
मैं समझलूं कि मेरे शब्द परिपूर्ण है।
मैं आपके जयघोष पर इतराऊं
मै समझलूं कि मेरा कविता पूर्ण है
मेरी कविता में बस यही है कामना।
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दि. 17 जुलाई 2020.