नयी लुकमीचणी.👌 कविता-करणीदानसिंह राजपूत।
पत्नी ने उनकी नजरों से बचा
कपड़ों के बीच में छिपाए।
सोचा उनके हाथ नहीं लगेंगे।
कपड़ों के बीच में छिपाने का
उनको मालूम कैसे पड़ेगा?
वह निश्चंत हो काम में लगी।
उनकी पारखी बुद्धि ने
अंदाजा लगाया और
ढूंढा खोज निकाला।
उन्होंने कपड़ों के बीच छिपाने पर
पत्नी की अक्लमंदी को सराहा।
उन्होंने अपने हाथों में लिया।
फिर गिने एक दो ....और चूमा।
बार बार कई बार चूमा।
अपनी बनियान मे छिपाया।
दिल से चिपका कर रखा।
दिल से चिपकाकर मस्त हुए
इधर उधर घर में घूमते रहे।
कमीज के ऊपर से बार बार दबा
दिल से और ज्यादा छुआते रहे।
दिल से लगाया तो बड़ी खुशी
मस्ती आनंद मिला बहुत।
इनमें तो बड़ी गरमी है।
इसलिए जब पास होते हैं
तब आदमी झूमने लगता है।
वह इतराने लगता है।
एक आदमी तो क्या
जिस किसी के पास हो वह भी
मस्त मस्त हो जाता है।
इनके पीछे तो पूरा संसार ही
दीवाना है पागल है।
वह भी तो दीवाना हो जाता है।
बनियान से बाहर निकाल कर
देखता है चूमता है बार बार।
फिर से दिल से लगाता है।
बार बार अनेक बार चिपकाता है
मगर दिल नहीं भरता।
और अधिक चिपकाए रखने की
ईच्छा होती रहती है।
उसे एहसास होता है कि
दिल से चिपकाए चिपकाए
बाहर नहीं जा सकता।
बनियान में दबाए हुए गिर जाएंगे।
वह सोचता है क्या किया जाए ?
उसकी अक्ल भी काम करती है।
बनियान से बाहर निकाला
देखा चूमा हाथ फिराए
बहुत बहुत खुश हुआ।
फिर सजाया संवारा और
वापस कपड़ों में ही रख दिया
घर में ही तो रहेंगे
अपने ही रहेंगे।
पत्नी तो उस्ताद होती है।
उसने देखा और फिर देखा।
नये तरीके से रखे हुआ देखा तो
पत्नी समझ गई।
ओह,उनसे छिपाकर रखा मगर
उनके हाथ तो लग ही गए।
पत्नी ने नये तरीके से सजाए रखे हुओं को उस जगह से निकाला और
फिर अपनी सोच से
कपड़ों में दूसरी जगह छिपाया।
यह सोच कर कि अब नहीं देख पाएंगे।
मगर फिर से खोज ही लिया
और कपड़ों में ही फिर छिपा दिया।
यह छिपाने खोजने का गेम है।
यह गेम चल रहा है।
👌काव्यशब्द💐
करणीदानसिंह राजपूत,
सूरतगढ़।
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