हंसता मुस्कुराता चेहरा और फूल: काव्यशब्द-करणीदानसिंह राजपूत.
मैंने तो हंसने हंसाने का
हर पल मुस्कुराने का ही
संदेश दिया तुम्हें जो
फूलों ने मुझे दिया था।
हंसने हंसाने के और
मुस्कुराते रहने के
समय समय पर अनेक
नये नये गुर भी बताए।
हंसी फूटती रही और
मुस्कुराहट भी आती रही
अब आगे भी हंसो और
मुस्कुराते रहो सदा।
आई हुई खुशियां और
आई हुई मुस्कान को
याद रखना है हर पल
भूलना नहीं है किसी क्षण।
फूल खिले महकते लगते अच्छे
लड़कियां हंसती मुस्कुराती अच्छी
मुस्कुराते चेहरे ही सुहाते सभी को
चिड़ियां चहकती लगती अच्छी।
हंसने मुस्कुराने में कोई पल
परेशानी उदासी का मत सोचो
ऐसे पल बीत गए जैसे भी
उनको भूलो और हंसो हंसाओ।
फूलों की तरह हंसते मुखड़े को
उदासी में कभी मत लटकाना
फूलों ने सदा दिया यह संदेश
और मैंने भी इसे पहुंचाया।
हंसते हंसाते फूल की
हर पंखुड़ी में प्यार है
ऐसा ही संदेश मिले
तुम्हारे हंसने हंसाने से ।
मैंने तो हंसने हंसाने का
हर पल मुस्कुराने का ही
संदेश दिया तुम्हें जो
फूलों ने मुझे दिया था।
हंसी फूटती रही और
मुस्कुराहट भी आती रही
अब आगे भी हंसो और
मुस्कुराते रहो सदा।
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करणीदानसिंह राजपूत,
पत्रकार,
सूरतगढ़।
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