माटी की महक तारावती भादू स्वर्ग को रवाना
^^ करणी दान सिंह राजपूत ^^
सूरतगढ़ क्षेत्र में डॉक्टर विजय प्रकाश भादू की माता के रूप में जानी जाने वाली शिक्षाविद नारी उत्थान में जीवन लगाने वाली तारावती भादू लगभग 81 वर्ष की उम्र में 25-26 दिसंबर की रात्रि में स्वर्ग को रवाना हो गई।ःउन्होंने अपने 75 वर्ष की उम्र में आयोजित अमृत महोत्सव के समय कहा था "जीवन मृत्यु को नहीं टालेगा, इसलिए हम भी जीवन को न टालें"उनका अंतिम संस्कार 26 दिसंबर 2019 अपरान्ह चार बजे के करीब मुख्य कल्याण भूमि में किया गया। पुत्र गण,परिजन,कुटंबी सहित गणमान्य अंतिम संस्कार के समय उपस्थित थे।
उन्होंने समाज को बदलने के लिए नारी शिक्षा व नारी उत्थान और वृद्धावस्था के लोगों के लिए प्रोढ शिक्षा क्षेत्र में शिक्षक जीवन में इतने कार्य किए हैं कि उन्हें कभी भी भुलाया नहीं जा सकेगा। शेखावाटी क्षेत्र में उनकी सेवा कदम कदम पर है।
तारावती का जन्म स्वतंत्रता सेनानी हनुमान सिंह जी बुडानिया के घर दुधवाखारा जिला चूरू में 10 मई 1938 को हुआ। पिता पुलिस में मुंशी थे और स्वतंत्रता आंदोलन में कूदने के लिए उन्होंने 1942 में सरकारी नौकरी छोड़ दी। दुधवाखारा स्वतंत्रता सेनानियों के लिए बहुत बड़ा अत्याचारी केंद्र रहा है। तारावती के दो भाईयों में एक रणवीर सिंह एडवोकेट और दूसरे सेना में कर्नल सुरेंद्र सिंह।
तारावती ने कक्षा 10 उत्तीर्ण जैसे-तैसे करने के बाद स्वामी केशवानंद के शिक्षण संस्थान में 1954 में नौकरी शुरू की थी।
वहीं पर बडोपल निवासी हजारी लाल जी भादू स्वामी केशवानंद के यहां निशुल्क लाइब्रेरियन का कार्य करते और स्वामी जी के एक प्रकार से सचिव थे।
हजारी लाल जी भादू के साथ उसी काल में तारावती का विवाह हुआ और उसके बाद में सरकारी नौकरी लगने के बाद उन्होंने अपने जीवन को समाज सेवा में डाल दिया।
उस काल में शिक्षा ही नहीं होती थी तब नारी शिक्षा के लिए उद्घोष करना बहुत बड़ी बात थी।
तारावती ने नारी शिक्षा प्रोढ शिक्षा का बीड़ा उठाया और अपना जीवन उसमें लगाया।विभिन्न पदों पर कार्य करती हुई जिला शिक्षा अधिकारी पद से सेवानिवृत्त हुई।
नेशनल वार विडोज एसोसिएशन नई दिल्ली के सहयोग से 10 वर्ष तक 'शार्ट स्टे होम'का संचालन किया जिसमें विधवाओं, परित्यक्ताओं,संकट ग्रस्त नारियों को सहायता सहयोग मिला।
तारावती भादू स्वामी केशवानंद ट्रस्ट मंडल संगरिया की मानद सदस्य और केशव विद्यापीठ शिक्षण समिति पीलीबंगा की अध्यक्ष रही।
पारिवारिक स्थिति के रूप में हजारीलाल जी ने कभी भी उनके कार्य में दखल नहीं दिया बल्कि समाज सेवा में जो भी कार्य कर रही थी उसके अंदर सहयोगी बने रहे।
तारावती भादू का बचपन पिता के स्वतंत्रता आंदोलन में। भाग लेने के कारण बड़ा कष्ट पूर्ण रहा लेकिन उन्होंने अपने वैवाहिक काल के बाद जीवन को बहुत अच्छे ढंग से संचालित किया।
उनके 4 पुत्र हुए जिनमें श्री जयप्रकाश इंजीनियर थे जिनका देहांत हो गया।।
विजय प्रकाश भादू हड्डी रोग विशेषज्ञ के रूप में सूरतगढ़ इलाके में जाने-माने हैं।
संजय प्रकाश वन विभाग में डीएफओ पद के अधिकारी। जयप्रकाश भारतीय प्रशासनिक सेवा में है और अभी वर्तमान में भारत के राष्ट्रपति के सचिवालय में नियुक्त हैं।
तारावती भादू को अपने जीवन काल में अनेक पुरस्कार मिले थे।
तारावती भादू की आयु के 75 वर्ष पूर्ण होने पर साहित्य संसद फतेहपुर की ओर से अमृत महोत्सव मनाया गया।
उस समय राजस्थान के प्रसिद्ध साहित्यकार शिशुपाल सिंह नारसरा ने एक पुस्तक *माटी की महक* का प्रकाशन किया जिसमें तारावती भादू के जीवन का संपूर्ण वर्णन है। उनके बारे में अनेक शिक्षाविदों ने अधिकारियों ने लेखकों ने बहुत कुछ लिखा। यह पुस्तक अपने आप में उनके जीवन को संपूर्ण रूप से दर्शाती है। अनेक पुरस्कारों से सुसज्जित हुई।
मेरा यह मानना है कि हमारे इलाके में नारी शिक्षा,नारी को स्वावलंबी बनाने में,प्रौढ़ शिक्षा की जागृति फैलाने में बहुत कार्य किया। मुझे इतना अच्छा कार्य और किसी का ध्यान में नहीं आ रहा है।
सूरतगढ़ में वह शिक्षाविद के रूप में अनेक कार्यक्रमों में भाग लेती रही। आज उनके संसार से गमन पर श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए नमन करता हूं कि उनका कार्य नारी समाज में सदा जागरूकता पैदा करता रहेगा।
करणीदानसिंह राजपूत,
पत्रकार,
सूरतगढ।
94143 81356.
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