रविवार, 21 जून 2015

सुहाना सा स्पर्श उसका-कविता



आधी रात को उसका आना
तन मन भिगो जाना
आनन्द में तन्द्रा आती रही
आँख जब खुली तब
वह सपना सी लगी।
लेकिन बिछौना भीगा
सलवटें लिए सच्च था।
कई दिन रात की लुका छिपी
नींद में खत्म कर गई
सुहाना सा स्पर्श
रोमांचित कर रहा है
फिर से आ जाए
तो रंग छा जाए।


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करणीदानसिंह राजपूत
पत्रकार,
सूरतगढ़।
94143 81356
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