मंगलवार, 23 अप्रैल 2019

चौकीदार की लाठी से डर और ललकार से भी डर


 

** करणीदानसिंह राजपूत **


चौकीदार तो हर युग में रहा है। जहां चौकसी की आवश्यकता हुई या जहां गड़बड़ी हुई, वहां पर चौकीदार की मौजूदगी मिली है।पुरातन ग्रंथ और इतिहास साक्षी है।

 सतयुग त्रेता द्वापर से लेकर कलयुग तक चौकीदार रहे हैं।

आजतक चौकीदार है।फिर चौकीदार नाम से घृणा क्यों हो रही है?

इसका कारण है।

मोदी ने यह बोल दिया,

मोदी चौकीदार बन गया।

चौकीदार कोई भी बन जाता और कुछ भी करता।

बस,मोदी नहीं बनना चाहिए था।

मोदी चौकीदार बन गया,यहां तक भी चल जाता,

मगर यह तो चौकीदारी करने लग गया।

अब,मरना यह है कि इस चौकीदार की लाठी से तो डर लगता ही है। इसकी ललकार से भी डर लगता है।**

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