बुधवार, 7 फ़रवरी 2018

वसुंधरा राजे की 160 पहियों वाली सुपरफास्ट की बैलगाड़ी सी चाल-व्यंग्य-



पहिये ज्यादा है। आपस में ही रगड़ खा रहे हैं। गनीमत यह की पटरी से नहीं उतरी:

-व्यंग्य- करणीदानसिंह राजपूत-


वसुंधरा राजे का सौभाग्य है?

 अपने ही परिवार के सदस्य पिनें उखाडऩे में लगे हुए हैं,लेकिन अभी तक उनकी पार नहीं पड़ी है।


वसुंधरा राजे को चश्मा उतार कर इधर उधर नजरें घुमाते जरूर देखा होगा जो कहती रहती हैं-किसकी हिम्मत है? 


इसे कहते हैं किस्मत या यह भीतरवाली बात की एक धमकी दी और दिल्ली म्याऊं करना ही भूल गई या डर गई?

यह कार्टून व्यंग्य आपके समझ में आ गया है और इसे अपने मित्रों को भी दिखलाने को उत्सुक हैं तो शेयर/सांझा करें।
23-7-2016
अपडेट 7-2-2018.
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