
पहिये ज्यादा है। आपस में ही रगड़ खा रहे हैं। गनीमत यह की पटरी से नहीं उतरी:
-व्यंग्य- करणीदानसिंह राजपूत-
वसुंधरा राजे का सौभाग्य है?
अपने ही परिवार के सदस्य पिनें उखाडऩे में लगे हुए हैं,लेकिन अभी तक उनकी पार नहीं पड़ी है।
वसुंधरा राजे को चश्मा उतार कर इधर उधर नजरें घुमाते जरूर देखा होगा जो कहती रहती हैं-किसकी हिम्मत है?
इसे कहते हैं किस्मत या यह भीतरवाली बात की एक धमकी दी और दिल्ली म्याऊं करना ही भूल गई या डर गई?
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23-7-2016
अपडेट 7-2-2018.
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