* करणीदानसिंह राजपूत *
सूरतगढ़ में चल रहे मेले में घुसने से पहले और विभिन्न धमाका सेल सेंटरों और दुकानों से खरीदारी करने से पहले सोच लें समझ लें कि आपकी जेब कैसे कट रही है।
* पहले मेले को ही लें। मेले सदा मौज मस्ती खरीदारी व खानेपीने के लिए मुफ्त प्रवेश ही होते थे लेकिन अब चल रहे मेले में एक प्रवेश पर 30 रू की टिकट है और भीतर जाने पर ठगी का मालुम पड़ता है कि अंदर दुकानों की संख्या बेहद कम है जिसे मेला तो कहा ही नहीं जा सकता। दुकानों की कम संख्या और सीमित वस्तुएं जब खरीदारी की नहीं जा सकती तब यह प्रवेश शुल्क 30 रूपये खर्च अखरते हैं। एक परिवार के चार पांच मेले में गये और 15-20 मिनट में ही बाहर आ गये तब 130-150 फालतू की चट्टी लगती है। 👍 मेले के भीतर जो रेट हैं, उससे कम रेट पर मेले से बाहर लगी दुकानों पर चीजें मिल रही है और लोग बाहर से खरीदारी करते हैं। मेले से अधिक सुंदर डिजाइन पर अच्छी चीजें कम दाम पर बाजार में मिल जाती हैं। हां,जिनको झूलना है तो उनके लिए झूले हैं लेकिन कीमती हैं। सर्दी से बचाव के पहनावे तो ढेर के रूप में स्टालों पर पड़े दो नंबर के लगते हैं।ढेर के रूप में रखी सामग्री पहनावा होता ही घटिया है। इनकी जो कीमते हैंउससे सस्ते मेले से बाहर और बाजार में मिल रहे हैं। पैकिंग की सामग्री में टूटी हुई और बेहद घटिया चीजें,खोल कर देख नहीं सकते।
* सड़कों पर धमाका सेल के पोस्टर लगे टैंटों में भी दो नंबर का माल ढेरों में पड़ा है सलवटों भरा,गंदा गंदा सा।
* तिब्बती बाजार को भी अवलोकन करने से सर्दी के पहनावे बाजार भाव से अधिक लगे।
👌 मेला महंगा है और धमाका सेल भी बाजार से महंगी दो नंबर की चीजें पहनावे हैं। मेला खरीदारी करने से पहले बाजार भी देखें परखें।
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